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चिकित्सा के छात्रों के लिए हिंदी में पाठ्यपुस्तक, तीन किताबों का विमोचन

अश्रुतपूर्वा II

नई दिल्ली। हिंदी समर्थकों के लिए यह सुखद और गर्व का क्षण है। भारत के युवा अब अपनी भाषा में चिकित्सा की पढ़ाई करेंगे, यह पहले सिर्फ सोचा भर जाता है। मगर आज यह साकार हो गया है। इसकी शुरुआत भारत के हृदय प्रदेश यानी मध्य प्रदेश से हुई है। देश में यह पहली बार है जब एमबीबीएस की पाठ्यपुस्तकें हिंदी में प्रकाशित हुई हैं।
हिंदी में चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना भी साकार हो गई है। गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार, 16 अक्तूबर को एमबीबीएस प्रथम वर्ष की तीन हिंदी पुस्तकों का विमोचन किया। जिन तीन पुस्तकों का राज्य की राजधानी भोपाल में विमोचन किया गया, उनके नाम हैं-फिजियोलॉजी, एनाटॉमी और बायो केमिस्ट्री। कोई 97 चिकित्सकों के दल ने प्रचलित अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी रूपांतर किया है।

हिंदी में चिकित्सा शिक्षा प्रदान करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना भी साकार हो गई है। जिन तीन पुस्तकों का विमोचन किया गया, उनके नाम फिजियोलॉजी, एनाटॉमी और बायो केमिस्ट्री हैं। चिकित्सकों के एक दल ने प्रचलित अंग्रेजी पुस्तकों का हिंदी रूपांतर किया है।

समारोह में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने भी पुस्तकों का लोकार्पण किया। इस महत्त्वपूर्ण अवसर पर गृह मंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि मध्य प्रदेश की सरकार ने देश में सबसे पहले मेडिकल शिक्षा हिंदी में शुरू कर प्रधानमंत्री के सपने को पूरा किया है। आज का दिन भारत के शिक्षा क्षेत्र के लिए बहुत अहम है। शिक्षा के क्षेत्र में पुनर्निर्माण का दिन है। इस दिन को स्वर्ण अक्षरों से लिखा जाएगा।
गृह मंत्री ने कहा, जो लोग मातृभाषा के समर्थक हैं उनके लिए आज गौरव का दिन है। तकनीकी और चिकित्सा शिक्षा में हिंदी पाठ्यक्रम की शुरूआत कर सरकार ने इतिहास रचा है। सरकार के इस प्रयास ने उन्हें भी जवाब दिया है, जो इस कदम को असंभव बता रहे थे। राज्य सरकार की इस पहल से देशभर में शिक्षा के क्षेत्र में नई क्रांति आएगी।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के सोचने की प्रक्रिया अपनी मातृभाषा में ही होती है। मातृभाषा में व्यक्ति सोचने, समझने, अनुसंधान, तर्क और काम बेहतर तरीके से किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि भारतीय छात्र जब मातृभाषा में तकनीकी और चिकित्सा शिक्षा का अध्ययन करेंगे तो भारत विश्व में शिक्षा का बड़ा केंद्र बनेगा। (मीडिया में आई खबरों की पुनर्प्रस्तुति)

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