अश्रुतपूर्वा II
नई दिल्ली। वर्ष 2022 के बुकर पुरस्कार की घोषणा कर दी गई है। इस बार यह सम्मान दिया गया है श्रीलंका के लेखक शेहान करुणातिलक को। यह पुरस्कार उन्हें उनके दूसरे उपन्यास ‘द सेवन मून्स आफ माली अल्मेडा’ के लिए मिला है। बता दें कि 1992 में ‘द इंग्लिश पेशेंट’ के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले माइकल ओंडात्जे के बाद, करुणातिलक पुरस्कार के तौर पर 50,000 ग्रेट ब्रिटेन पाउंड जीतने वाले दूसरे श्रीलंकाई मूल के व्यक्ति हैं। उन्हें बीते दिनों लंदन में एक समारोह में पुरस्कृत किया गया। ‘द सेवन मून्स आफ माली अल्मेडा’ एक फोटोग्राफर माली अल्मेडा की कहानी है। माली 1990 में अपनी मौत के बाद स्वर्ग के वीजा कार्यालय जैसी जगह पहुंचता है। वह नहीं जानता कि उसे किसने मारा। माली के पास उन लोगों से संपर्क करने के लिए सात चांद हैं, जिन्हें वह सबसे ज्यादा चाहता है। इसी दौरान वहां उसके हाथ गृहयुद्ध के अत्याचारों की ढेर सारी तस्वीरें मिलती है, जो सामने आ जाएं तो देश को झकझोर कर रख देंगी। लेखक करुणातिलक ने कहा कि यह ऐसे समय में जीत है, जब देश ने बहुत कुछ खोया है। लेकिन आप इस जीत को स्वीकार करें। उन्होंने कहा, उम्मीद है वह दिन अब बहुत दूर नहीं रह गया है। श्रीलंका समझ गया है कि भ्रष्टाचार और नस्लवाद तथा साठगांठ के इन विचारों ने काम नहीं किया है। श्रीलंका में अप्रत्याशित आर्थिक व राजनीतिक गतिरोध की पृष्ठभूमि में उनकी यह बेबाक टिप्पणी है।
लेखक करुणातिलक ने कहा कि यह ऐसे समय में जीत है, जब देश ने बहुत कुछ खोया है। बुकर पुरस्कार 2022 के निर्णायक मंडल के अध्यक्ष नील मैकग्रेगर ने कहा, निर्णायक मंडल ने ‘द सेवन मून्स आफ माली अल्मेडा’ में जिस बात की विशेष रूप से प्रशंसा की, वह था इसका महत्वाकांक्षा का दायरा और इसके कथानक को पेश करने का तरीका। ‘द सेवन मून्स आफ माली अल्मेडा’, वस्तुत: गृहयुद्ध से घिरे श्रीलंका में मची तबाही के बीच मृत्यु के बाद के जीवन की पड़ताल करती है।
बुकर पुरस्कार 2022 के निर्णायक मंडल के अध्यक्ष नील मैकग्रेगर ने कहा, निर्णायक मंडल ने ‘द सेवन मून्स आफ माली अल्मेडा’ में जिस बात की विशेष रूप से प्रशंसा की, वह था इसका महत्वाकांक्षा का दायरा और इसके कथानक को पेश करने का तरीका। ‘द सेवन मून्स आॅफ माली अल्मेडा’, वस्तुत: गृहयुद्ध से घिरे श्रीलंका में मची तबाही के बीच मृत्यु के बाद के जीवन की पड़ताल करती है। श्रीलंका के गाले में 1975 में करुणातिलक का जन्म हुआ। वे कोलंबो में पले-बढ़े। उनका पहला उपन्यास 2011 में आया था, जिसे राष्ट्रमंडल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। लंदन में राउंडहाउस में आयोजित पुरस्कार समारोह में करुणातिलक और इस साल के चयनित दूसरे लेखक शामिल रहे। बुकर प्राइज फाउंडेशन के निदेशक गैबी वुड ने कहा, इस साल बुकर पुरस्कार के निर्णायकों ने शानदार टीम बनाई है। उन्होंने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में लिखे गए 170 उपन्यास पढ़े। ब्रिटेन की महारानी का दर्जा मिलने के बाद कैमिला ने अपने पहले सार्वजनिक कार्यक्रम के रूप में इस समारोह में हिस्सा लिया। दूसरी ओर श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने करुणातिलक को बधाई संदेश भेजा है। इस बीच सोशल मीडिया पर लेखक को बधाई देने वाले संदेशों तांता लग गया है।
( मीडिया में आई खबरों के आधार पर पुनर्प्रस्तुति)