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आंशिक सूर्य ग्रहण देखने के लिए आसमान की ओर ताकते रहे लाखों लोग

अश्रुतपूर्वा II

नई दिल्ली। पच्चीस अक्तूबर को दोपहर बाद भारत के कई हिस्सों में इस साल का अंतिम सूर्य ग्रहण देखा गया। खगोल विज्ञान प्रेमियों से लेकर आम जनों ने इस दुर्लभ दृश्य को बेसब्री के साथ देखा। और इसे आंखों में भर लेना चाहा।  कई लोगों ने दूरबीन की भी मदद ली। उत्तराखंड के नैनीताल और लद्दाख में खगोलीय दूरबीनों के अलावा कई शौकिया और पेशेवर खगोलविदों ने सूर्य ग्रहण को देखा। कई लोग आसमान की ओर ताकते रहे।
सूर्य ग्रहण शाम चार बज कर सत्रह मिनट पर शुरू हुआ। सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन लगता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है और खास तौर से जब तीनों एक रेखा में आ जाते हैं। आंशिक सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य को आंशिक रूप से ढक लेता है।
इस खास मौके पर खगोल विज्ञान क्लबों ने सूर्य ग्रहण देखने की व्यवस्था की थी। यही नहीं विशेष चश्मे भी बांटे गए। आंशिक सूर्य ग्रहण देश के कई हिस्सों में देखा गया।

सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन लगता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है और खास तौर से जब तीनों एक रेखा में आ जाते हैं। आंशिक सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा सूर्य को आंशिक रूप से ढक लेता है। 


दिल्ली में सूर्य का 43 प्रतिशत हिस्सा ढका रहा जबकि जम्मू में यह 52 प्रतिशत, बंगलुरु में 9.9 प्रतिशत और कोच्चि में 5.1 प्रतिशत रहा। श्रीनगर में सूर्य का अधिकतम धुंधलापन 55 प्रतिशत देखा गया। लद्दाख के हनले में हाई स्कूल के छात्र सूर्य ग्रहण देखने के लिए भारतीय खगोलीय वेधशाला में जमा हुए। वहीं टाटा इंस्टीट्यूट आफ फंडामेंटल रिसर्च ने भी इस खगोलीय घटना को देखने के लिए अपने परिसर को खोल दिया था।
चूंकि यह ग्रहण शाम में लगा इसलिए इस खगोलीय घटना का अंत नहीं दिखा। क्योंकि तब तक सूर्यास्त हो चुका था। सूर्य ग्रहण के मौके पर चारधाम सहित सभी मंदिरों के कपाट बंद रहे। यहां तक कि हरिद्वार में सुबह होने वाली गंगा आरती भी नहीं हुई। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार कई सौ साल बाद ग्रहण के मौके पर बने खग्रास ग्रह योग बना था।
दोपहर बाद लगे सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल में सभी मंदिरों को बंद कर दिया गया था। कई हिस्सों में हजारों लोगों ने नदियों और अन्य सरोवरों में डुबकी लगाई। हरिद्वार में गंगा नदी के हर की पैड़ी घाट पर बड़ी संख्या श्रद्धालु जमा हुए। कई जगहों से आए हजारों श्रद्धालुओं ने कुरुक्षेत्र के पवित्र सरोवरों में स्नान किया। (मीडिया में आई खबरों के आधार पर पुनर्प्रस्तुति)

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