स्वास्थ्य

सेहत पर भारी न पड़ जाए सोशल मीडिया

संजय II

नई दिल्ली। सोशल मीडिया के बिना अब लोगों का गुजारा नहीं। इसकी लत लग रही है सभी। क्या जवान और क्या बुजुर्ग। सोते-जागते हर समय लोग इससे जुड़े रहते हैं या फिर जुड़े रहना चाहते हैं। आज वाट्सऐप, फेसुबक, इंस्टाग्राम और ट्वीटर में से किसी न किसी पर आपकी मौजूदगी रहती ही है। कहां क्या चल रहा है, यह आप जानना चाहते हैं। यही नहीं आप खुद को अभिव्यक्त भी करना चाहते हैं। इसमें गलत कुछ गलत भी नहीं। अलग अलग तरीके से अपने को अभिव्यक्त करना मनुष्य का स्वभाव है। वह इसके बिना रह भी नहीं सकता। मगर इसके प्रति बेतहाशा लगाव अब चिंता का विषय बन गया है।
अफसोस कि ज्यादातर लोगों को इस माध्यम का सकारात्मक उपयोग करना नहीं आता। इसके नकारात्मक प्रभाव पर बहुत कम लोग सोचते हैं। नतीजा ये कि सोशल मीडिया आपकी निजता पर हावी होने के साथ आपकी सेहत पर भी असर डाल रहा है। अच्छा होगा कि आप एक से दो हफ्ते सोशल मीडिया से जरा हट कर देखिए। पाएंगे कि आप उन दिनों कितने सुकून में रहे। आप अपनी दुनिया में लौट आए। आप अपने विचार खुद निर्धारित करने लगे हैं। आप औरों से अलग हट कर सोचने लगे हैं। है न?
मैं पिछले दिनों एक खबर पढ़ रहा था। जिसमें न्यूजीलैंड में हुए अध्ययन के बारे में बताया गया था। सर्वेक्षण प्रतिक्रियाओं का उपयोग करते हुए, चार साल में कोई सात हजार से अधिक वयस्कों में सोशल मीडिया के उपयोग और स्वास्थ्य पर इसके संबंधों की जांच की गई। पाया गया कि सोशल मीडिया सेहत को प्रभावित करता है। ये निष्कर्ष सभी आयु समूहों के पुरुषों और महिलाओं में समान थे। इससे पता चलता है कि जिन लोगों की सेहत खराब है, वे संभवत: सोशल मीडिया की ओर अधिक रुख कर रहे हैं, शायद एक जवाबी उपाय के रूप में – लेकिन यह मदद नहीं कर रहा है। इस भीड़ में भी आप अकेले हैं। शायद ही कोई मित्र आपका हर दिन ख्याल रखता हो।
सच तो यह है कि सोशल मीडिया की ओर मुड़ना उन भावनाओं को और खराब कर सकता है जिनसे आप बचने की उम्मीद कर रहे हैं। उस अध्ययन में पाया गया कि सोशल मीडिया के अधिक उपयोग के नतीजे खराब स्वास्थ्य के रूप में सामने आ रहे हैं, जो बदले में सोशल मीडिया के उपयोग को और बढ़ाता है। नकारात्मक भावनाओं को बढ़ाता है। कई बार आप छद्म लोगों के फेर में पड़ जाते हैं। इस तरह यह सिलसिला चलता रहता हैं और लोग फंसते जाते  हैं। अगर आपको लगता है कि सोशल मीडिया के साथ आपके संबंधों का भी कुछ ऐसा ही हाल है, तो बाहर निकलने की कोशिश करनी चाहिए।

अगर सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से आपको नींद नहीं आ रही है। या आपके मन पर कोई नकारात्मक असर पड़ रहा है तो यह आपके उपयोग को बदलने या कम करने या यहां तक कि इससे कुछ समय के लिए विराम लेने का भी संकेत है।

सबसे पहले यह सोचें कि आप सोशल मीडिया का उपयोग क्यों करते हैं? हम यहां बता दें कि सोशल मीडिया स्वाभाविक रूप से खराब नहीं है, यहां आप को कुछ अच्छे दोस्त मिलते हैं। आप दूसरों के विचार जानते हैं। समाज और राजनीति में क्या चल रहा हैं।, यह पता चलता है। कला-संस्कृति और रंगमंच से जुड़े लोगों से भी मिलते हैं। लेकिन हम इस माध्यम का संतुलित प्रयोग कैसे करें यह जानना जरूरी है। इससे भी ज्यादा कि हम सोशल मीडिया पर कितना समय बिताते हैं। उदाहरण के लिए, दूसरों के साथ महज बातचीत करने के लिए या मनोरंजन के लिए? अपने अच्छे दोस्तों से चैट करें। अपने दिल को बहलाने के लिए कुछ मजाकिया वीडियो देखें, लेकिन खुद की किसी से तुलना करने से बचें।
हम जो आनलाइन देखते हैं वह भी बहुत अहम है। एक प्रायोगिक अध्ययन में पाया गया है कि यात्रा से जुड़ी तस्वीरें देखने की तुलना में ऐसे लोगों की तस्वीरें देखने से, जो पतले दुबले हैं और जिनकी फिगर बहुत अच्छी है और जिन्होंने फिटनेस गतिविधियों में शामिल होने के समय पहने जाने वाले कपड़े पहने हुए हैं, उन्हें देख कर मूड खराब हो सकता है। शोध से पता चलता है कि सोशल मीडिया का बिना मकसद उपयोग सेहत के लिए अधिक हानिकारक है।
अगर सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से आपको नींद नहीं आ रही है। या आपके मन पर कोई नकारात्मक असर पड़ रहा है तो तो यह आपके उपयोग को बदलने या कम करने या यहां तक कि इससे कुछ समय के लिए विराम लेने का भी संकेत है। न्यूजीलैंड में एक अध्ययन  हुआ था। एक हजार से अधिक प्रतिभागियों के साथ एक प्रयोग में पाया गया कि केवल एक सप्ताह के लिए फेसबुक से ब्रेक लेने से जीवन की संतुष्टि में बढ़ोतरी हुई। इसलिए यह अब सोचना होगा कि सोशल मीडिया को अन्य गतिविधियों की जगह न लेने दें। जीवन संतुलन का नाम है, इसलिए सुनिश्चित करें कि रोज कुछ घंटे मोबाइल फोन से हट कर दूसरे जरूरी काम किया जाए।
एक शोध से नतीजा निकला है कि घर से बाहर, किसी शौक या कौशल पर बिताया गया समय और शारीरिक गतिविधि में संलग्न होना आपकी सेहत को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। इससे भला कौन असहमत होगा। अच्छा होगा कि जिन मित्रों से आप आभासी दुनिया में मिलते हैं। उनकी परख कीजिए। कौन आसली है और कौन नकली यह भी जानिए। नकारात्मक संदेशों से दूर रहिए। घर से बाहर पार्क में दौड़ लगाइए। उन खास आभासी मित्रों से किसी रेस्तरा में मिलिए उनके साथ चाय पीजिए। कभी अपना फोन कुछ देर के लिए टेबल पर रखिए। जरा आसमान को निहारिए।  कभी चांद और तारे भी देखिए। इंद्रधनुष देखिए। दोस्तों के साथ दूर कहीं निकल जाइए। यूं ही बस किसी नदी किनारे। समंदर किनारे या फिर लांग ड्राइव पर ही सही।  सोशल मीडिया के पार ही असली जीवन है।

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