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सहज महसूस करती हूं हिंदी में: गीतांजलि श्री

अश्रुतपूर्वा II

नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार सम्मानित लेखिका गीतांजलि श्री का कहना है कि वे हिंदी भाषा में सहज महसूस करती हैं। उन्होंने पिछले दिनों दुबई में कहा, इसी भाषा के माध्यम से वे खुद को बेहतर ढंग से अभिव्यक्त करना चाहती हैं।
चर्चित लेखिका ने 41वें शारजाह अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले के दूसरे दिन संयुक्त अरब अमीरात के विभिन्न स्कूलों से आए छात्रों के साथ बातचीत की।

बुकर पुरस्कार सम्मानित पहली भारतीय लेखिका ने कहा, मैं ऐसे समय में पली-बढ़ी हूं, जब क्षेत्रीय शब्दावली बहुत अधिक आम थी। हिंदी मेरी सहज भाषा है। मैं इसी भाषा के माध्यम से खुद को बेहतर तरीके से अभिव्यक्त करना चाहती हूं।

पत्रकारों से बात करते हुए बुकर पुरस्कार जीतने वाली भारतीय लेखिका ने कहा, मैं ऐसे समय में पली-बढ़ी हूं, जब क्षेत्रीय शब्दावली बहुत अधिक आम थी। हिंदी मेरी सहज भाषा है और इसी भाषा के माध्यम से मैं खुद को बेहतर तरीके से अभिव्यक्त करना चाहती हूं।
गीतांजलि श्री ने कहा कि सभी भाषाओं का समृद्ध इतिहास है। हम किसी एक की तुलना दूसरे से नहीं कर सकते। अंग्रेजी वैश्विक स्तर पर आज संवाद के लिए प्राथमिक भाषा है, लेकिन भारत सहित अन्य देशों में कई तरह की भाषाएं और बोलियां हैं। हमें उन पर भी गर्व करना चाहिए। (माडिया में आए समाचार की पुनर्प्रस्तुति)

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