अश्रुतपूर्वा II
नई दिल्ली। इतिहासकार और वन संरक्षण कार्यकर्ता शेखर पाठक की किताब को कमलादेवी चट्टोपाध्याय एनआईएफ पुरस्कार के लिए चुना गया है। यह किताब वन संरक्षण के लिए बहुचर्चित चिपको आंदोलन पर आधारित है। मनीषा चौधरी द्वारा हिंदी में लिखी किताब की अनुवादित कृति द चिपको मूवमेंट : अ पीपुल्स हिस्ट्री को इस पुरस्कार के लिए चयनित विविध विषयों पर आधारित पांच किताबों में से इसका चयन किया गया है। कमलादेवी चट्टोपाध्याय एनआईएफ बुक प्राइज 2022 पर सबकी निगाहें थीं।
बता दें कि कमलादेवी चट्टोपाध्याय एनआईएफ बुक प्राइज किसी भी देश के लेखक को आधुनिक या समकालीन भारत पर लिखे उत्कृष्ट कथेतर साहित्य के लिए दिया जाता है। कमलादेवी चट्टोपाध्याय के नाम पर रखा गया पुरस्कार कई मायने में अहम है। कमला देवी ने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर महिला आंदोलन, शरणार्थियों के पुनर्वास और हस्तशिल्प के पुनरुद्धार में काफी योगदान दिया था।
पुरस्कार के लिए चुनी गई शेखर पाठक की किताब के बारे में निर्णायक मंडल ने कहा कि यह एक ऐसे विद्वान द्वारा लिखा गया चिपको आंदोलन का सर्वोत्तम इतिहास है जिन्होंने व्यावहारिक रूप से इसे जिया।
इस पुरस्कार के अंतर्गत पंद्रह लाख रुपए नकद, एक ट्राफी तथा प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। इस बार पुरस्कार विजेता का चयन राजनीतिक चिंतक नीरजा गोपाल जायल की अध्यक्षता वाले छह सदस्यीय निर्णायक मंडल ने किया था।
पुरस्कार के लिए चुनी गई किताब के बारे में निर्णायक मंडल ने कहा कि यह एक ऐसे विद्वान द्वारा लिखा गया चिपको आंदोलन का सर्वोत्तम इतिहास है जिन्होंने व्यावहारिक रूप से इसे जिया। यह ऐसी किताब है जो स्थानीय समुदायों खासतौर से महिलाओं की आंखों से आंदोलन की कहानी बयां करती है। (मीडिया में आए समाचार की पुनर्प्रस्तुति)