अश्रुतपूर्वा II
नई दिल्ली। विश्व पुस्तक मेले में पुस्तकों का लोकर्पण जारी है। इस कड़ी में वाणी प्रकाशन समूह के ‘साहित्य घर उत्सव’ में कई नई पुस्तकों का लोकार्पण हुआ। गोपेश्वर की पुस्तक आलोचना का अवलोकन, प्रतिष्ठित आलोचक शंभुनाथ की तीन नई आलोचनात्मक पुस्तकें भक्ति आंदोलन और उत्तर-धार्मिक संकट, भारतीय नवजागरण एक असमाप्त सफर और हिंदी नवजागरण भारतेंदु और उनके बाद, दिव्या माथुर का उपन्यास तिलिस्म, वंदना यादव का भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित उपन्यास ‘शुद्धि’, युवा कवि लवली गोस्वामी का पहला तिलस्मी उपन्यास ‘वनिका’, पूनम अरोड़ा का रजा फाउंडेशन के साथ प्रकाशित कविता संग्रह ‘कामनाहीन पत्ता’ और युवा कवि मोहित कटारिया का कविता संग्रह ‘कच्चे रंग’ और चर्चित कलाकार व कवि राजेश तैलंग के कविता संग्रह ‘चांद पे चाय’ के दूसरे संस्करण का भी लोकार्पण हुआ।
मिजार्पुर, डेल्ही क्राइम, देव, हजार चौरासी की मां आदि फिल्मों एवं वेब शृंखला में काम करने वाले अभिनेता राजेश तैलंग का काव्य संग्रह ‘चांद पे चाय’ के दूसरे संस्करण का लोकार्पण किया गया। उन्होंने अपने एक अभिनेता से कवि बनने के सफर के बारे में बताया। अपने कविता संग्रह के लिए आभार ज्ञापन किया। कार्यक्रम में निरुपमा कोटरु ने राजेश तेलंग की कविताओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी कविताएं जीवन के हर पक्ष को छूती हैं। कार्यक्रम में पाठकों ने कतार लगा कर राजेश तेलंग से उसकी पुस्तकों पर हस्ताक्षर लिए।
गोपेश्वर सिंह की नई पुस्तक ‘आलोचना का अवलोकन’ का लोकार्पण हुआ। इस पर आलोचक शंभुनाथ ने अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि यह समय अपने भीतर के आलोचक को बचाने का है। हर नागरिक को न सिर्फ अति आत्ममुग्धता से बचना चाहिए बल्कि आवारा भीड़ का हिस्सा बनने से भी खुद को बचाना चाहिए। युवा आलोचक और अध्यापक राजेश राव ने मंच का संचालन किया।
कार्यक्रम के अगले क्रम में दिव्या माथुर के उपन्यास ‘तिलिस्म’ का लोकार्पण हुआ। उपन्यास के विषय में गीताश्री ने बताया कि आजादी के बाद पैदा हुई पीढ़ी के बहुमुद्दों को लेकर चलाने वाला उपन्यास है। केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष अनिल शर्मा जोशी, डॉ. मधु चतुर्वेदी, लेखिका व प्रस्तोता अलका सिन्हा, इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय की उपप्रधानाचार्य रेखा सेठी, और चर्चित कहानीकार अनुज ने उपन्यास की सार्थकता पर अपनी बात रखी। अगले चरण में शंभुनाथ कि तीन पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। इस मौके पर आलोचक व दिल्ली विश्वविद्यालय के अध्यापक गोपेश्वर सिंह और मृत्युंजय ने उपन्यास के विषय पर अपने विचार रखे।
इसके बाद वंदना यादव की पुस्तक ‘शुद्धि’ का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. महेंद्र प्रजापति ने वंदना के उपन्यास पर विस्तार से अपनी बात रखी। इस अवसर पर लेखिका ने उपन्यास के नाम की सार्थकता उसके पीछे की मंशा को पाठक के साथ साझा किया और बताया कि मुझे वह लिखना है जो मुझे प्रताड़ित करता है।
युवा कवि और उपन्यासकार लवली गोस्वामी की पुस्तक ‘वनिका’ का लोकार्पण किया गया। इस मौके पर कवि मदन कश्यप, युवा कवि पूनम अरोड़ा, और उपन्यासकार अणुशक्ति सिंह ने पुस्तक के संदर्भ में पाठकों के समक्ष अपने विचार रखे। कार्यक्रम में आगे बढ़ते हुए पूनम अरोड़ा की पुस्तक ‘कामनाहीन पत्ता’ का लोकार्पण हुआ। युवा कवि मोहित कटारिया की पुस्तक ‘कच्चे रंग’ का भी लोकार्पण किया गया। सभी कार्यक्रमों का आयोजन वाणी प्रकाशन समूह के ‘साहित्य घर मंच’ पर हुआ। अतिथियों का स्वागत अरुण माहेश्वरी और अदिति माहेश्वरी गोयल ने शॉल ओढ़ा कर किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पाठक उपस्थित थे।
(यह प्रस्तुति वाणी प्रकाशन की विज्ञप्ति पर आधारित)
राजेश तेलंग ने इस मौके पर अपने एक अभिनेता से कवि बनने के सफर के बारे में बताया। कार्यक्रम में निरुपमा कोटरु ने कविताओं की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी कविताएं जीवन के हर पक्ष को छूती हैं। कार्यक्रम में पाठकों ने कतार लगाकर राजेश से उसकी पुस्तकों पर हस्ताक्षर लिए।