राकेश धर द्विवेदी II
बहुत कुछ हमसे कह गईं
आपकी ये खामोशियां…
दिल में आकर उतर गईं
आपकी ये खामोशियां…
बहुत कुछ हमसे कह गईं।
नजरें मिलना फिर मुस्कुराना
धीरे से पलकों को झुकाना
ये फिर से लाई हैं बहुत कुछ
मेरी जिंदगी में नजदीकियां
बहुत कुछ हमसे कह गईं
आपकी ये खामोशियां…।
रह गई है याद तेरी
और कुछ बाकी नहीं
करवटें लेता है चांद और
सलवटें पड़तीं धरती पर,
सोतीं नहीं ये रतियां
किस कदर रुलाती हैं
आपकी ये खामोशियां…।
दिल में उतर गीत सुनातीं
आपकी ये खामोशियां
हौले से समझाती हैं मुझे
मेरे कांधे को छू कर
जाने कहां गुम हो जाती हैं
आपकी ये खामोशियां