कविता काव्य कौमुदी

आपकी ये खामोशियां

राकेश धर द्विवेदी II

बहुत कुछ हमसे कह गईं
आपकी ये खामोशियां…
दिल में आकर उतर गईं
आपकी ये खामोशियां…
बहुत कुछ हमसे कह गईं।

नजरें मिलना फिर मुस्कुराना
धीरे से पलकों को झुकाना
ये फिर से लाई हैं बहुत कुछ
मेरी जिंदगी में नजदीकियां
बहुत कुछ हमसे कह गईं
आपकी ये खामोशियां…।

रह गई है याद तेरी
और कुछ बाकी नहीं
करवटें लेता है चांद और
सलवटें पड़तीं धरती पर,
सोतीं नहीं ये रतियां
किस कदर रुलाती हैं
आपकी ये खामोशियां…।

दिल में उतर गीत सुनातीं
आपकी ये खामोशियां
हौले से समझाती हैं मुझे
मेरे कांधे को छू कर
जाने कहां गुम हो जाती हैं
आपकी ये खामोशियां

About the author

राकेश धर द्विवेदी

राकेश धर द्विवेदी समकालीन हिंदी लेखन के सशक्त हस्ताक्षर हैं। वे कवि हैं तो गीतकार भी। उनकी कई रचनाएं प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। द्विवेदी की सहृदयता उनकी रचनाओं में परिलक्षित होती है। उनकी कुछ रचनाओं की उपस्थिति यूट्यूब पर भी देखी जा सकती है, जिन्हें गायिका डिंपल भूमि ने स्वर दिया है।

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