राकेश धर द्विवेदी II
आइए ले चलूं आपको
कंक्रीट के उस जंगल में
जहां आप महसूस करेंगे
भौतिकता के ताप को,
मानवता, नौतिकता दया-करुणा
और खत्म होते मानवीय मूल्यों को।
अवमूल्यन की कहानी
कुछ कह रहे हैं
मैक्डॉवेल की बोतल में
मनी प्लांट मुस्कुरा रहा,
पास में खड़ा हुआ
नीम का पेड़ काटा जा रहा।
ताजी हवा का झोंका
यहां सिमटा जा रहा
पास में खड़ा हुआ
एअर कंडीशनर गुर्रा रहा
हवेली बड़ी सी मगर
देखो कितनी वीरान है
बुजुर्गों की सांसों से
यह आज भी आबाद है।
आगंतुक ने मालिक से पूछा
पड़ोसी का क्या नाम है
वह झल्लाया और बुदबुदाया
मेरा उनसे क्या काम है?
इस अनोखे जंगल में
प्राणवायु है केवल मनी
यदि मनी है तो सब कुछ
है यहां फनी- फनी।