अश्रुत पूर्वा II
नई दिल्ली। अगले तीस साल में हर देश में मधुमेह से पीड़ित होने वाले लोगों की संख्या बढ़ने का अंदेशा जताया जा रहा है। जबकि इस समय ही पूरी दुनिया में कोई 50 करोड़ लोग मधुमेह के शिकार हैं। विज्ञान की प्रतिष्ठित शोध पत्रिका ‘द लैंसेंट’ में छपे विश्लेषण में दावा किया गया है कि मधुमेह रोगियों की संख्या बढ़ेगी और यह एक अरब 30 करोड़ तक पहुंच सकती है।
‘द लैंसेट’ में छपे आलेख के मुख्य लेखक लियान ओंग का कहना है कि जिस रफ्तार से मधुमेह रोगियों की संख्या बढ़ रही है, वह चिंता की बात तो है ही, वहीं दुनिया के सभी देशों की स्वास्थ्य तंत्र के लिए भी चुनौतीपूर्ण है। लियान यूनिवर्सिटी आफ वाशिंगटन के स्कूल आफ मेडिसिन के आइएचएमई में मुख्य शोध विज्ञानी हैं।
लियांग ओंग के मुताबिक लगभग सभी वैश्विक मामलों में कोई 96 फीसद मामले टाइप 2 मधुमेह के हैं। लियान ने जीबीडी 2021 के अध्ययन का इस्तेमाल किया और साल 1990 और 2021 के बीच 204 देशों के उम्र और लिंग के आधार पर मधुमेह रोगियों की संख्या और मौत का अध्ययन किया। और फिर 2050 तक मधुमेह की स्थिति का विश्लेषण किया।
इस विश्लेषण के मुताबिक रोग की मौजूदा वैश्विक प्रसार दर 6.1 फीसद है जो इसे मृत्यु और निशक्तता के दस प्रमुख वजहों में से एक बनाती है। इस अध्ययन में यह भी पता चला कि क्षेत्रीय स्तर पर यह दर उत्तर अमेरिका और पश्चिम एशिया में सबसे अधिक यानी 9.3 प्रतिशत है। यह 2050 तक बढ़ कर 16.8 हो जाने की संभावना है। लैटिन अमेरिका और कैरिबियाई देशों में यह दर 11.3 फीसद है।
इस रोग पर अनुसंधान करने वालों के मुताबिक मधुमेह के लक्षण खास तौर से 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में पाए गए। जबकि क्षेत्रीय आधार पर देखें तो उत्तर अफ्रीका और पश्चिम एशिया में इस आयु वर्ग में सर्वाधिक दर 39.4 फीसद थी। मध्य और पूर्वी यूरोप में तथा मध्य एशिया में यह सबसे कम 19.8 फीसद थी। (मीडिया में आए समाचार के आधार पर)