कविता काव्य कौमुदी

यह जो आम आदमी है

राकेश धर द्विवेदी II

राशन की दुकान पर
चार घंटे से खड़ा है
यह आम आदमी है।

सब्जी वाले से जो
बिना बात के लड़ा है
यह आम आदमी है।

मूंगफली को चिनियाबादाम
कह कर जो
बच्चों को खिला रहा
यह आम आदमी है।

दूध के बिल पर जो
पत्नी से लड़ रहा है
यह आम आदमी है।

सुविधा शुल्क के नाम पर
धीरे से रिश्वत दे रहा है
यह आम आदमी है।

रोज मरने की  
तमन्ना कर के भी
जो जी रहा है
यह आम आदमी है।

About the author

राकेश धर द्विवेदी

राकेश धर द्विवेदी समकालीन हिंदी लेखन के सशक्त हस्ताक्षर हैं। वे कवि हैं तो गीतकार भी। उनकी कई रचनाएं प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। द्विवेदी की सहृदयता उनकी रचनाओं में परिलक्षित होती है। उनकी कुछ रचनाओं की उपस्थिति यूट्यूब पर भी देखी जा सकती है, जिन्हें गायिका डिंपल भूमि ने स्वर दिया है।

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