स्वास्थ्य

आयुष चिकित्सा का केंद्र बनने लगा भारत

डा. एके अरुण II

अनेक चुनौतियों के बावजूद भारत धीरे-धीरे कई क्षेत्र में विकास के पथ पर अग्रसर है। इनमें स्वास्थ्य पर्यटन, आयुष और योग आदि क्षेत्र ऐसे हैं जिसमें भारत वैश्विक स्तर पर सफलता के दावे कर सकता है। योग शब्द दरअसल संस्कृत धातु युज से निर्मित है जिसका अर्थ होता है जोड़ना। संस्कृत का एक सुन्दर श्लोक है योग: कर्मसु कौशलम्ह्व  योग से कर्मों में कुशलता आती है। योग शरीर, मन और भावनाओं में संतुलन और सामंस्य स्थापित करने का एक बेहतरीन साधन है। प्रत्येक वर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व योग दिवस के रूप में स्थापित कराने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अहम योगदान है।
प्रधानमंत्री के अपील पर 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अंतराष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। यों तो भारतीय योग की परांरा सदियों पुरानी है। वैदिक संहिताओं में योग का जिक्र (100-500 बीसी) है। योग के प्रणेता महर्षि पतंजलि के योग सूत्र का विवरण देखा जा सकता है। भारतीय दर्शन में षठ दर्षणों में एक का नाम योग है। योग दार्शनिक प्रणाली सांख्य योग के साथ निकटता से जुड़ा है। महर्षि पतंजलि द्वारा व्याख्यायित सम्प्रदाय सांख्य मनोविज्ञान और तत्व मीमांसा को स्वीकार करता है।
अभी हाल ही में भारत यात्रा पर आए वर्ल्ड इकोनोमिक फोब्स (डब्लूईएफ) के अध्यक्ष बोर्गो ब्रेंड ने एक साक्षात्कार में कहा कि कोरोना महामारी के बाद भारत दुनिया में तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्थाओं में महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने इसे स्नोबल इफेक्ट का नाम दिया। अर्थशास्त्र में प्रचलित शब्द स्नोबल इफेक्ट दरअसल एक ऐसी प्रक्रिया है जो समय के साथ-साथ बड़़ी होती जाती है। उन्होंने कहा कि विकास के लिए जो अहम पहलू हैं वह हैं लालफीताशाही और भ्रष्टाचार को खत्म करना। जाहिर है कि समुचित निवेश के अभाव में विकास हो ही नहीं सकता मसलन एक ऐसा वातावरण जिसमें निवेश के लिए माहौल बने वह भारत के लिए फिलहाल सबसे जरूरी चीज है। यदि सरकारी स्तर पर भ्रष्टाचार और लालफीताशाही पर लगाम लग पाया तो भारत में समुचित विकास की बात की जा सकती है।
कोरोना काल के लंबे अंतराल के बाद स्वास्थ्य सेवाओं के विकास में तेजी से उम्मीदें बंधी हैं कि स्थिति बदल सकती है। मेडिकल टूरिज्म इन्डेक्स में भारत आज भी अच्छी स्थिति में है। वर्ष 2020-21 में भारत का रैंक 10 था। ऐसे ही 20 वैश्विक कल्याण पर्यटन स्थलों में भारत का स्थान 12 है। भारत के 38 से ज्यादा चिकित्सा संस्थान अंतराष्ट्रीय संयुक्त आयोग (जेसीआई) द्वारा मान्यता प्राप्त हैं। भारत सरकार ने आने वाले विदेशी मरीजों के लिए वीजा की एक नई श्रेणी शुरू की है।
अभी हाल ही में भारत सरकार ने 12 सेवा क्षेत्रों के लिए 640 मिलियन डालर का एक कोष स्थापित किया है जिसमें चिकित्सा और स्वास्थ्य पर्यटन भी शामिल है। हील इन इंडिया पहल प्रत्येक वर्ष हजारों चिकित्सा पर्यटकों को भारत में विश्व स्तरीय चिकित्सा सुविधाओं तक पहुंचने में मदद कर रही है। अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा पर्यटक विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं और शल्य क्रिया के लिए भारत आ रहे हैं साथ ही आयुष उपचार, योग आयुर्वेद एवं होमियोपैथी की चिकित्सा के लिए विगत कुछ वर्षों में विदेशी मरीजों की रुचि का बढ़ना एक आशावादी पहलू है।
भारत में आयुर्वेद, हर्बल, प्राकृतिक उपचार एवं योग के क्षेत्र में हो रहे तेजी से विकास को देखें तो दक्षिण भारत के कई प्रदेश बहुत अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। केरल, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश के अलावे कई पहाड़ी राज्यों में आयुष पद्धतियों के माध्यम से उपचार करने के सैकड़ों संस्थाओं ने भारत में चिकित्सा पर्यटन को उत्साहजनक बना दिया है।
भारत का चिकित्सा पर्यटन उद्योग अब सालाना पांच लाख करोड़ से भी ज्यादा का हो गया है। आधुनिक चिकित्सा की सीमाओं के मद्देनजर अनेक सर्जरी के अलावे विदेशी मरीजों की प्राकृतिक चिकित्सा, योग, आयुर्वेद, होमियोपैथी आदि में रुचि तेजी से बढ़ी है। दिल्ली के आसपास खास कर हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड आदि प्रदेशों में विगत कुछ वर्षों में तेजी से प्राकृतिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य संस्थाओं का खुलना यह दशार्ता है कि आयुष चिकित्सा पद्धति व्यावसायिक तौर पर ज्यादा लाभप्रद सिद्ध हो रही है। हरियाणा के कुरुक्षेत्र, गुड़गांव, फरीदाबाद, पानीपत, हिसार, जींद आदि में दर्जनों प्राकृतिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य केन्द्र तो विगत कुछ ही महीनों में खोले गए हैं।
चिकित्सा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत का प्रयास वर्ष 2002 से ही आरंभ हो गया था।  मैकिन्से-सीआईआई ने 2002 में इस क्षेत्र की अपार संभावनाओं पर भारत सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी और तभी अतुल्य भारत अभियान शुरू किया गया था। तत्कालीन वित्त मंत्री जसवंत सिंह ने चिकित्सा पर्यटन को ध्यान में रख कर हवाई अड्डों के बुनियादी ढांचे में सुधार के साथ साथ यहां के सक्षम अस्पतालों को सेन्टर आॅफ एक्सीलेंस के रूप में बढ़ावा दिया था। आज यह प्रयास रंग ला रहा है और भारत चिकित्सा पर्यटन तथा योग व प्राकृतिक चिकित्सा आयुर्वेद, होमियोपैथी के क्षेत्र में इन दिनों दुनिया का नेतृत्व कर रहा है। वर्तमान सरकार और आगे बढ़ा रही है। उम्मीद है कि वर्ष 2025 तक भारत का चिकित्सा पर्यटन एवं वैकल्पिक उपचार माध्यमों का बाजार बढ़ कर दस लाख करोड़ पार कर सकता है। 
भारत सरकार ने राष्ट्रीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पर्यटन प्रोत्साहन बोर्ड की स्थापना कर अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए भारत में आकर स्वास्थ्य लाभ लेने की प्रक्रिया को और आसान बना दिया है। आवश्यकता इस बात की है कि आयुष के चिकित्सक एवं आयुष व्यवसाय के लोग इसे सकारात्मक रूप में आगे बढ़ाने के लिए तत्पर हों।फेडरेशन आॅफ इंडियन चेम्बर्स आॅफ कामर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के अध्ययन के अनुसार 2015 में चिकित्सा पर्यटन का बाजार लगभग 3 बिलियन डालर का था जो 2020 तक बढ़ कर आठ बिलियन डालर का हो गया था। अनुमान है कि यह वर्ष 2025 तक 15 बिलियन डालर को भाी पार कर सकता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दावे के मुताबिक वर्ष 2022 में सत्तर लाख पर्यटक उपचार के लिए  भारत   आए। इसमें 20-30 फीसद पर्यटक तो आयुर्वेद व आयुष उपचार के लिए आए थे। केरल भारत में आयुर्वेद पर्यटन के लिए सबसे लोकप्रिय राज्यों में एक है। यहां वे आयुर्वेद रिजार्ट, हेल्थ ग्राम, योग विला आदि अब देश भर के न केवल लोकप्रिय हो रहे हैं बल्कि उनकी शाखाएं भी खुल रही हैं। हरियाणा के जिंद जिले के सफीदों में आरोग्य प्राकृतिक चिकित्सा ग्राम इसी कड़ी में जुड़ा एक नाम है जो किफायती मूल्य पर विश्वस्तरीय सेवाएं देने की घोषणा कर रहा है।
भारत के विकास की यदि गाथा लिखी जाए तो कहा जा सकता है कि विगत कुछ वर्षों में देश में आयुष पद्धतियों के प्रति लोगों में रुचि काफी बढ़ी है क्योंकि महंगे इलाज और लाभ न मिलने की आशंका ने आम भारतीय मध्यवर्ग को हतोत्साहित किया है। आवश्यकता इस बात की है कि इन आयुष पद्धतियों और इनके चिकित्सकों का हौसला बढ़ाया जाए। कोरोना महामारी के दौरान होमियोपैथी और आयुर्वेद की सकारात्मक भूमिका में लोगों की आंखें खोल दी हैं। विगत कुछ महीनों में लोगों की होमियोपैथी, आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा में बढ़ी रुचि यह बता रही है कि इन निरापद पद्धतियों को बढ़ावा देकर हम दुनिया में न केवल सकारात्मक स्वास्थ्य प्रदाता के रूप में स्थापित हो सकते हैं बल्कि इसे वैश्विक स्तर पर नेतृत्व और मार्गदर्शन दे सकते हैं। संभावनाएं अनंत हैं और हम इसके लिए सक्षम और तैयार हैं। आइए सब मिल कर आगे बढ़ें और देश का नाम रौशन करें।
(लेखक जन स्वास्थ्य वैज्ञानिक एवं राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त होमियोपैथिक चिकित्सक हैं।)

About the author

AK Arun

डॉ. एके अरुण देश के प्रख्यात जन स्वास्थ्य विज्ञानी हैं। वे कई पुस्तकों के लेखक और संपादक हैं। साथ ही परोपकारी चिकित्सक भी। वे स्वयंसेवी संगठन ‘हील’ के माध्यम से असहाय मरीजों का निशुल्क उपचार कर रहे हैं। डॉ. अरुण जटिल रोगों का कुशलता से उपचार करते हैं। पिछले 31 साल में उन्होंने हजारों मरीजों का उपचार किया है। यह सिलसिला आज भी जारी है। कोरोना काल में उन्होंने सैकड़ों मरीजों की जान बचाई है।
संप्रति- डॉ. अरुण दिल्ली होम्योपैथी बोर्ड के उपाध्यक्ष हैं।

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