आलेख कथा आयाम

स्त्री स्वरूपा ही है नौ शक्तियों का रूप, सम्मान कीजिए

अश्रुत विशेष II

नई दिल्ली। नौ शक्तियों की आराधना का पर्व है नवरात्र। सदैव स्मरण रहना चाहिए कि प्रकृति स्वरूपा स्त्री स्वयं में शक्ति है। आप उसमें अलग-अलग शक्ति देख सकते हैं। कोई भी उससे अलग नहीं है। हमारे यहां नवकुमारियां शक्ति के नवस्वरूप की ही प्रतीक हैं। इनके विविध रूपों की पूजा का विधान है तो इसलिए क्योंकि सभी नौ शक्तियां इनमें समाहित हैं-

नवशक्ति भि: संयुक्तम नवरात्रंतदुच्यते।
एकैवदेव देवेशि नवधा परितिष्ठता।।

साल में चार नवरात्र आते हैं। मगर दो बार अर्थात एक चैत्र और दूसरा अश्विन में नवरात्रि को श्रद्धालु विशेष रूप से मनाते हैं। इन दिनों भारत का अधिकांश हिस्सा भक्तिभाव में डूब जाता है। संयमित जीवन आहार-विहार लोगों में दिखाई देने लगता है। इस तरह यह मन की एकाग्रता और स्त्री की प्रतिष्ठा और उसे सम्मान देने का भी पर्व है। 
क्या ही अच्छा हो पूरी दुनिया इन नौ दिनों की तरह वर्ष भर स्त्रियों को नव शक्तियों का रूप मान कर उनके अस्तित्व को स्वीकार करें और समानता का व्यवहार करें। इससे एक शांत और सुरक्षित दुनिया रचने में सहायता होगी।
आज इस पर्व पर मैं अश्रुत पूर्वा के माध्यम से सभी से आह्वान करती हूं कि आप मां दुर्गा की भक्ति का त्योहार मनाते हुए वास्तव में नारियों का सम्मान करें। इस पर्व की सार्थकता इसी में है। तभी न केवल घर-परिवार में बल्कि समाज में सुख-समृद्धि और शांति आएगी।  हम आज सभी नकारात्मक शक्तियों को खत्म कर अपने हृदय को सकारात्मक सोच से आलोकित करें।

आप सभी को नवरात्रि की शुभकामनाएं।

डॉ. सांत्वना श्रीकांत
संस्थापक,
अश्रुत पूर्वा डॉट कॉम

About the author

santwana

सशक्त नारी चेतना के स्वर अपनी कविताओं में मुखरित करने वाली डाॅ सांत्वना श्रीकांत का जन्म जून1990 में म.प्र. में हुआ है।सांत्वना श्रीकांत पेशे से एक दंत चिकित्सक हैं। इनका प्रथम काव्य-संग्रह 'स्त्री का पुरुषार्थ' नारी सामर्थ्य का क्रान्तिघोष है।

इनकी कविताएँ प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं- गगनांचल, दैनिक भास्कर,जनसत्ता आदि में प्रकाशित होती रहती हैं।

साथ ही वे ashrutpurva.com जो कि साहित्य एवं जीवनकौशल से जुड़े विषयों को एक रचनात्मक मंच प्रदान करता है, की संस्थापिका एवं संचालिका हैं।

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