कविता काव्य कौमुदी

मां मुझे चरणों में ले लीजिए

अपने चरणों में मुझे जगह दीजिए
नवरातन में कृपा कीजिए मैया
तेरी महिमा है बड़ी, तेरी गरिमा है बड़ी
दादी और नानी ने गाई, हमने भी सुनी
सोई किस्मत जगा दीजिए
चरणों में मुझे जगह दीजिए मैया।

कब से तुम्हारे दर पर खड़ा हूं मैं
प्रार्थना में है मेरा शीष झुका
अपने हाथों को एक बार
मेरे सिर पर लगा दाजिए
सोई किस्मत जगा दीजिए मैया।

नवरातन में मैया की चौकी सजी
बज गए ढोल-नगाड़े भी
दुष्ट दानव का फिर संहार कीजिए
अपनी चरणों में मुझे जगह दीजिए
नवरातन पर मैया कृपा कीजिए।

महिमा तेरी है बहुत बड़ी
प्रार्थना मेरी स्वीकार कीजिए
सोई किस्मत मेरी जगा दीजिए
नवरातन पर मुझ पर कृपा कीजिए
चरणों में अपनी जगह दीजिए मैया।

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Ashrut Purva

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