कविता काव्य कौमुदी

सत्य की स्थापना फिर से करो राम

हे राम, तुम फिर से
इस धरा पर आओ
नवनिर्माण और नव सृजन के
गीत फिर से गाओ,
हे राम, तुम फिर से
इस धरा पर आओ।

फिर से डरे हुए हैं भक्त
सहमे खड़े हैं संत भी
इस अंधकार और निशा से
तुम हमें बचाओ।
हे राम, तुम फिर से
इस धरा पर आओ।

गांव-गांव और घर-घर में
रावण राज कर रहा,
बेबस हर व्यक्ति यहां
केवल सांसें ले रहा,
इस विषम और विकट परिस्थिति से
तुम आकर उबार जाओ।

पशु-पक्षी कर रहे हैं क्रंदन
शबरी कब से दर पर खड़ी है
अहिल्या चौखट को निहारती
भ्रूण हत्या की कहानी कह रही।
इस दुखदायक घड़ी में
नवनिर्माण-सृजन के गीत गाओ

हे, राम फिर से
इस धरा पर आओ।
धर्म और सत्य की,
पुनर्स्थापना कर जाओ।
हे राम, तुम फिर से
इस धरा पर आओ।

About the author

राकेश धर द्विवेदी

राकेश धर द्विवेदी समकालीन हिंदी लेखन के सशक्त हस्ताक्षर हैं। वे कवि हैं तो गीतकार भी। उनकी कई रचनाएं प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। द्विवेदी की सहृदयता उनकी रचनाओं में परिलक्षित होती है। उनकी कुछ रचनाओं की उपस्थिति यूट्यूब पर भी देखी जा सकती है, जिन्हें गायिका डिंपल भूमि ने स्वर दिया है।

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