हे राम, तुम फिर से
इस धरा पर आओ
नवनिर्माण और नव सृजन के
गीत फिर से गाओ,
हे राम, तुम फिर से
इस धरा पर आओ।
फिर से डरे हुए हैं भक्त
सहमे खड़े हैं संत भी
इस अंधकार और निशा से
तुम हमें बचाओ।
हे राम, तुम फिर से
इस धरा पर आओ।
गांव-गांव और घर-घर में
रावण राज कर रहा,
बेबस हर व्यक्ति यहां
केवल सांसें ले रहा,
इस विषम और विकट परिस्थिति से
तुम आकर उबार जाओ।
पशु-पक्षी कर रहे हैं क्रंदन
शबरी कब से दर पर खड़ी है
अहिल्या चौखट को निहारती
भ्रूण हत्या की कहानी कह रही।
इस दुखदायक घड़ी में
नवनिर्माण-सृजन के गीत गाओ
हे, राम फिर से
इस धरा पर आओ।
धर्म और सत्य की,
पुनर्स्थापना कर जाओ।
हे राम, तुम फिर से
इस धरा पर आओ।