कविता काव्य कौमुदी

दिवाली आई, चारों ओर खुशहाली छाई

सांवर अग्रवाल II

दिवाली आई दिवाली आई
चारों ओर खुशहाली छाई,
मुन्नू चुन्नू चहके हैं,
नभ में सितारे चमके है।

पिंकी के पास है फुलझड़ी
गुड्डी देखो लाई अनार,
चकरी देखो घूम रही,
नाच रहा सारा संसार।

बबली पीपी सज कर आई,
मुनिया देखो रॉकेट ले आई,
चुनिया फोड़े एटम बम,
हलवा पूरी यम-यम-यम।

दीयों की कतार सजी,
जगमग जगमग भली लगी,
भागा अंधियारा हुआ प्रकाश,
चारों तरफ छाया उल्लास।

About the author

सांवर अग्रवाल

सांवर अग्रवाल कपड़े के कारोबारी हैं। असम के तिनसुकिया में वे रहते हैं। दो दिसंबर 1965 को जन्मे अग्रवाल स्वभाव से मृदुल और कर्म से रचनात्मक हैं। बातों बातों में अपनी तुकबंदियों से वे पाठकों और श्रोताओं को चकित कर देते हैं। वे लंबे समय से बाल कविताएं रच रहे हैं। सांवर अग्रवाल बाल कवि के रूप में चर्चित हैं।

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