व्यंग्य (गद्य/पद्य) हास्य-व्यंग्य

चैन से सोने के लिए जागो!!

अतुल मिश्र II

चैन से सोने के लिए लोगों को लगातार जागते रहने की सलाह देने वाले एक टीवी न्यूज-चैनल पर खबरों का कभी न खत्म होने वाला सिलसिला जारी था-चैन से सोना है, तो जाग जाओ। क्योंकि अब जो कुछ हम दिखाने जा रहे हैं, उसे देख कर आपके रोंगटे ही नहीं खड़े होंगे, बल्कि आप खुद भी खड़े हो जाएंगे।
‘सुनिए जी, अब तो जाग जाइये, क्योंकि ‘फनफनी’ वाला बोल रहा है कि चैन से सोना है, तो जाग जाइए।’ खर्राटे लेने वाले पति को सोते से उठाते हुए धर्म निभाती पत्नी से झकझोरा।
‘बोलने दो कमब्खत को। उसका और काम ही क्या है? रात बारह-एक बजे तक हमें जगा कर खुद सोने चला जाता है। नाक में दम कर रखा है इस चैनल ने हमारा।’ पति ने अपने खर्राटों का तारतम्य  बरकरार रखते हुए बीवी को उस कॉमन सेन्स से परिचित कराया, जिसके तहत आदमी एक वक्त में दो में से सिर्फ एक ही काम कर सकता है कि या तो चैन से सो ले, या जाग ले। दोनों एक साथ नहीं।
‘ध्यान से देख लीजिए इस चेहरे को। यह कोई मामूली चेहरा नहीं है। इस चेहरे के पीछे जो चेहरा छिपा है, वह बेहद ही खतरनाक है। यह चेहरा एक ऐसे महत्वकांक्षी नेता का है, जो हर चुनाव में देश को चलाने का ठेका लेने की गरज से खड़ा तो होता है, मगर जीत कभी नहीं पाता है। तमाम पार्टियां बदलने के बाद अब यह निर्दलीय तौर पर नेतागीरी का धंधा करना चाहते है और इसके लिए इसने फिर से करा लिया है-अपना नामांकन!’  चैनल-रिपोर्टर सोते हुए लोगों को जगाने के लिए जोर-जोर से चीखे जा रहा था।
निगम-वार्ड के चुनावों से लेकर लोकसभा चुनावों तक, सभी में यह शख़्स अपनी किस्मत आजमा चुका है, मगर संसद और विधानसभा में घुसने के इसके खौफनाक मनसूबे सिर्फ इसीलिए कभी कामयाब नहीं हुए, क्योकि गुंडों और डकैतों से इसने कभी ताल्लुकात नहीं रखे या उन्होंने इसे इस लायक नहीं समझा। जो भी हो, यह शख़्स इस बार फिर चुनाव में खड़े होकर किस खतरनाक वारदात को अंजाम देने जा रहा था, यह दिखाने से पहले हम लेते हैं एक छोटा सा ब्रेक। बिस्तर छोड़ कर कही मत जाइएगा। टीवी रिपोर्टर तो स्क्रीन से गायब हो गया, मगर इधर खर्राटे लेते पति के कान एकदम खड़े हो गए कि आखिर इसे कैसे पता चला कि हम लोग बिस्तर पर हैं।
‘सुनो, तुम अपने पूरे कपड़े पहन लो। मुझे लगता है कि यह कमब्खत हमें देख रहा है टीवी में से। वरना इसे कैसे पता कि हम  बिस्तर पर हैं और टीवी छोड़ कर बाथरूम में भी न जाने की राय दे रहा है, साला।’ जिस तेजी से साइंस आगे बढ़ रही है, टीवी में से झांक कर एक दिन किसी के बेडरूम का आंखों-देखा हाल भी बयान किया जा सकता है, इस बात पर यकीन करने वाले पति ने एहतियातन अपनी पत्नी से कहा और रिमोट से टीवी बंद करने के बाद उस दाढ़ी वाले रिपोर्टर के बारे में सोचता रहा कि आखिर उसे कैसे पता चला कि हम बिस्तर पर हैं? पहरेदार की ढीली पड़ी सीटी अब सुबह तक जागने के संकेत दे रही थी।

About the author

Atul Mishra

अतुल मिश्र देश के शीर्ष व्यंग्यकारों में से एक हैं। वे कई अखबारों और पत्रिकाओं के अलावा स्टार न्यूज और पीटीसी न्यूज में अहम पदों पर काम कर चुके हैं। पत्रकारिता करते हुए उन्होंने सैकड़ों व्यंग्य रचनाएं लिखीं। उनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। कई पुरस्कारों से सम्मानित अतुल मिश्र इस समय पुरातत्त्व और राष्ट्रीय धरोहरों को सहेजने का कार्य कर रहे हैं। वे श्री धनवंतरि फार्मेसी का भी सफलता पूर्वक संचालन कर रहे हैं।

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