अतुल मिश्र II
मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया। पहले सरकार बनी। फिर सौदेबाजी हुई कि जब हमारे समर्थन से सरकार बन रही है, तो कम से कम कितने मंत्री हमारे होंगे और किनको, कितने मलाईदार मंत्रालय देने हैं। इस तरह से विस्तार करने की जरूरत ही नहीं पड़ी होगी। मंत्रालय कम पड़ गए, तो स्वतंत्र प्रभार दे दिया कि फलाने मंत्री किसी भी मंत्रालय से कमाई करने के लिए स्वतंत्र हैं, इसलिए इसका प्रभार इनके कंधों पर डाल दिया।
अगले दिन कुछ अखबारों ने मंत्रिमंडल के आधे-अधूरे फोटो छापे और कुछ अखबार ऐसे भी थे, जिन्होंने पूरा फोटो छापने में ईमानदारी निभाई। इन्होंने आधा या चौथाई फोटो छापने के बाद नीचे लिख दिया कि शेष अगले अंक या अंकों में। सरकार मानती है कि या तो विस्तार हो ही न और अगर हो, तो ढंग से हो। वो भी क्या मंत्रिमंडल, जिसके विस्तार का फोटो अखबार के आठ कालम में ही आ जाए।
‘तुम्हें नहीं लगता कि विस्तार कुछ ज्यादा ही हो गया?’ स्वतंत्र प्रभार वाला मंत्री अपने पी.ए. से कम विस्तार में पूछता है।
‘आप सही कह रहे हैं, सर।’ नए मंत्री का नया पी.ए. बोलता है।
‘यह स्वतंत्र प्रभार का मंत्रालय कहां है?’ परचूनी की दुकान छोड़ कर राजनीति की दुकान चलाने वाला मंत्री पूछता है।
‘जहां तक मेरी जानकारी है, आप किसी भी मंत्रालय का भार उठाने के लिए स्वतंत्र हैं।’ पी.ए. अपना ज्ञान बिखेरता है।
‘फिर भी मालूम कर लो। ऐसा न हो कि इधर हम अपने स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्रालय की जगह अपने बंगले पर हों और उधर ग्राहक वापस लौट जाएं।’ दुकानदारी से सीधे राजनीति में आए स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्री के अंदर का दुकानदार बोलता है।
‘अब तो आपके पास ग्राहक आते ही रहेंगे। मंत्रालय न भी हो, मगर मंत्री-पद और सरकारी बंगला तो है ही आपके पास। जिसे आना होगा, वह यहां भी आ सकता है।’ ग्राहक और मौत का कुछ पता नहीं कि कब आ जाए, इस अनुभवजन्य ज्ञान के मद्देनजर पी.ए. ने तसल्ली दी।
‘ऐसा क्यों न करें कि अखबारों में इश्तिहार देकर हम अपने ग्राहकों को अपने स्वतंत्र प्रभार मंत्री बनने की सूचना के साथ ही अपने मिलने का पूरा पता दे दें?’ सिर्फ राय लेने के लिए बने पी.ए. से राय लेने की गरज से स्वतंत्र प्रभार वाले मंत्री ने पूछा।
‘जैसा आप मुनासिब समझें।’ पी.ए. अनापेक्षित राय प्रदान की और अगले ही दिन व्यापार-संघों की ओर से मंत्री का विज्ञापन छप गया, जिसमें कुछ लोगों की तरफ से उनके स्वतंत्र प्रभार मंत्री बनने की सूचना के साथ ही ‘ग्राहकों से निवेदन’ शीर्षक के नीचे ही लिखा था-‘नक्कालों से सावधान।’ ट्रेडमार्क की जगह मंत्री जी का हाथ जोड़ती मुद्रा में खिंचा फोटो छपा था।