घनश्याम अग्रवाल II
अलसी प्लांट, अकोला (महाराष्ट्र)
अबकी बार रावण ने फिर सीताहरण किया
और अपने दरबार में कहा-
“इस बार जीतेंगे हम दांव
ऐसा प्लान बनाया हमने
उठ जाएगा धरती से
अंगद का पांव
पांव के हटते ही
राम पर मुसीबत भारी होगी
सीता परमानेंट हमारी होगी।” किंतु राम बेखबर नहीं थे
पूरी तरह जागे थे
होशियारी में रावण से भी
दो कदम आगे थे
इसलिए उन्होंने इस बार
अंगद की जगह
एक मंत्री को दूत बनाकर भेजा
मंत्री रावण के दरबार में
एक कुर्सी पर बैठते हुए बोला-
“हे रावण,
क्या तुम मुझे
इस कुर्सी से हटा सकते हो?
यदि हां, तो फिर
सीता को पा सकते हो।”
दरबारियों के
लाख जोर लगाने पर भी रावण का मन खिला नहीं
मंत्री का हटना तो दूर
वह कुर्सी से हिला नहीं।
रावण का प्लान बेकार गया
इस बार वह फिर हार गया।
साभार-पुस्तक महल द्वारा प्रकाशित ‘रंगारंग हास्य कवि सम्मेलन’ से