कविता काव्य कौमुदी

मत पूछो कौन हूँ मैं ?

विनीत मोहन औदिच्य II

अनुत्तरित रहा है यह शाश्वत प्रश्न
पूछता रहा हूँ स्वयं से, कौन हूँ मैं ???
मिथ्या गर्वोक्त, प्रतिज्ञाबद्ध भीष्म ?
सुविधा भोगी द्रोण या कृपाचार्य ?
महत्वाकांक्षी मोह ग्रस्त अंध धृतराष्ट्र ?
अति मदान्ध, हठी दुर्योधन ?
द्यूत निपुण, कुटिल- शिरोमणि शकुनि ?
तिरस्कृत – उपकृत, अज्ञात राधेय ?
निर्लज्ज, क्रूर दुशासन ?
कामुक, अनाचारी जयद्रथ ?
असहाय, भ्रमित शल्य ?
अंतहीन व्रण पीड़ा भोगने भटकता हुआ
मणि कांति विहीन अश्वत्थामा ?
विधर्मियों की राजसभा में
दांतों के मध्य जिव्हा सा विवश विदुर ?
इन सभी का हूँ मैं समुच्चय
यही है मेरा यथार्थ,
मैं हूँ मात्र भक्ति हीन, निर्गुण,
स्वयं की कामनाओं के वशीभूत,
एक अभिशप्त यायावर !!!

About the author

विनीतमोहन औदिच्य

श्री विनीत मोहन औदिच्य - १० फरवरी, १९६१ को उत्तरप्रदेश के करहल में जन्मे आप , संप्रति उच्च शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश शासन के अंतर्गत शासकीय महाविद्यालय में अंग्रेजी के प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। एक सुप्रसिद्ध ग़ज़लकार और सिद्धहस्त हिन्दी कवि के रूप में उनकी प्रतिभवान लेखनी हिंदी की विभिन्न साहित्यिक विधाओं में मानव जीवन के हर एक पहलू को स्पर्श करती है। उनके प्रकाशित 5 एकल संग्रहों व 9 साझा संग्रहों में 'खुशबु ए सुख़न', 'काव्य प्रवाह', 'कारवां ए ग़ज़ल', 'भाव स्रोतस्विनी' एवं 'अंदाज़ ए सुख़न' सम्मलित हैं। अंग्रेजी के सोनेट कवियों को हिंदी में अनूदित करने की उनकी अभिरुचि को 'प्रतीची से प्राची पर्यंत' में एवं नोबेल सम्मान विजेता पाब्लो नेरुदा के हंड्रेड लव सोनेट्स का हिंदी अनुवाद 'ओ, प्रिया! में पूर्णता प्राप्त हुई है।

Leave a Comment

error: Content is protected !!