आर्ट गैलरी जीवन कौशल

लहरों के शहर, शाम की ठहर .. कैमरे की नज़र @सांत्वना श्रीकांत

आसमान खुद का अक्स देखता है लहरों के दर्पण में .. नीलाभ छिटका हुआ है

मेघमाला आतुर है उदधि का उर हार बन जाने को 
किनारे  रेतीले , क्षितिज केसरिया,हृदय शांत महासागर है 
शंख के स्वर सुप्त पाषाण को जागृत करते हुए 
लहरें छोड़ जातीं हैं स्मृतियों की अनमोल सीपियाँ
संध्या उतर रही है समंदर में सुनहरी पायल पहन कर 
शाम का आँचल झुरमुटों में उलझा  
क्षितिज की अलगनी से झाँकता कंचनमुखी सूर्य 
दृष्टिकोण की जीवंतता .. ‘सालसा’ करती शाखाएं 
पतवार के कोर खोजें समंदर के छोर 

About the author

santwana

सशक्त नारी चेतना के स्वर अपनी कविताओं में मुखरित करने वाली डाॅ सांत्वना श्रीकांत का जन्म जून1990 में म.प्र. में हुआ है।सांत्वना श्रीकांत पेशे से एक दंत चिकित्सक हैं। इनका प्रथम काव्य-संग्रह 'स्त्री का पुरुषार्थ' नारी सामर्थ्य का क्रान्तिघोष है।

इनकी कविताएँ प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं- गगनांचल, दैनिक भास्कर,जनसत्ता आदि में प्रकाशित होती रहती हैं।

साथ ही वे ashrutpurva.com जो कि साहित्य एवं जीवनकौशल से जुड़े विषयों को एक रचनात्मक मंच प्रदान करता है, की संस्थापिका एवं संचालिका हैं।

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