नई दिल्ली (अश्रुत पूर्वा)। हिंदी के मूर्धन्य साहित्यकार और साहित्य अकादेमी के महत्तर सदस्य विश्वनाथ प्रसाद तिवारी का कहना है कि प्रकृति ने सभी को कुछ न कुछ खास दिया है। उन्होंने कहा कि प्रकृति ने लेखकों को संवेदनशीलता, परकाया प्रवेश और अभिव्यक्ति की विशेष क्षमता जैसी तीन योग्यताएं प्रदान की हैं। इन्हीं योग्यताओं से लेखक स्वयं को दूसरों से जोड़ लेता है। और दूसरों की पीड़ा को वह अभिव्यक्त कर देता है। लेखक इसे अपना धर्म समझता है। आज जब पूरी दुनिया हिंसा से त्रस्त है तो ऐसे समय में लेखक को समाज का मार्गदर्शन करना चाहिए।
उन्होंने बिगड़ते पर्यावरण पर चिंता जताते हुए कहा कि विकास जब प्रकृति में हस्तक्षेप करेगा तो यह विनाश की वजह बनेगा। इसलिए लेखक मनुष्यधर्मी ही नहीं, पर्यावरणधर्मी भी होना चाहिए। श्री तिवारी साहित्य अकादेमी के विशेष समारोह में बोल रहे थे। इस मौके पर वर्ष 2020 के लिए चयनित भारतीय भाषाओं के रचनाकारों को सम्मानित किया गया। इनमें खास तौर से हिंदी के लिए कवयित्री अनामिका, अंग्रेजी के लिए अरुंधति सुब्रमण्यम और कन्नड़ के लिए राजनेता तथा साहित्यकार वीरप्पा मोईली शामिल हैं।
समारोह में उपस्थित अकादेमी के अध्यक्ष चंद्रशेखर कंबार ने कहा कि ये पुरस्कार बहुभाषिक और बहुसांस्कृतिक प्रतिभा का सम्मान है। उन्होंने कहा कि आज जब ये पुरस्कार दिए जा रहे हैं तो भारत की हर भाषा में श्रेष्ठ साहित्य रचने वाले लेखक को आप यहां देख सकते हैं। इस अवसर पर साहित्य अकादेमी के सचिव डॉ. के श्रीनिवास राव ने कहा कि भारत भले ही अनेक भाषाओं में बोलता है, मगर वह एक है। साहित्य और भाषा में सामाजिक यथार्थ तथा संस्कृति को प्रस्तुत करने की क्षमता होती है। समारोह में समापन वक्तव्य देते हुए साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि साहित्यकार आम जन की पीड़ा के प्रवक्ता होते हैं। यह सम्मान ऐसे ही रचनाकारों का सम्मान है। उन्होंने भारत की बहुभाषिकता को दुनिया में अनूठा बताया।
इस मौके पर पुरस्कृत होने वाले अन्य रचनाकारों के नाम इस तरह हैं- पंजाबी के लिए गुरुदेव सिंह रूपाणा, राजस्थानी के लिए भंवर सिंह सामौर, गुजराती के लिए हरीश मीनाश्रु, कश्मीरी के लिए हृदय कौल भारती, नेपाली के लिए शंकर देव ढकाल, संस्कृत के लिए महेशचंद्र शर्मा, मैथिली के लिए कमलकांत झा, संथाली के लिए रूपचंद हंसदा, मणिपुरी के लिए इरूंगबम देवेन सिंह, सिंधी के लिए जेठो ललवानी, उर्दू के लिए हुसैन उल हक, मलयालम के लिए ओमचेरी पिल्लई, कोंकणी के लिए आरएस भास्कर, ओड़िया के लिए यशोधरा मिश्रा, तेलुगू के लिए निखिलेश्वर और तमिल के लिए इमाइयम।
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