स्वास्थ्य

इन्फ्लूएंजा से सतर्क रहें अबकी सर्दियों में

चित्र : साभार गूगल

अश्रुत पूर्वा II

दिल्ली। ज्यादातर देशों में कोरोना संक्रमण या तो कम है या घट रहा है, लेकिन महामारी का खतरा पूरी तरह टला नहीं है। इसे खत्म होने में अभी लंबा वक्त लगेगा। मगर इस बार की सर्दियों में चिंता का सबसे बड़ा विषय है कोरोना का प्रकोप दोबारा शुरू होने की आशंका। उसके साथ-साथ श्वसन तंत्र के अन्य रोगों खासकर इन्फ्लूएंजा का बढ़ना। रूस में मामले बढ़ रहे हैं। ब्रिटेन की हालत ड्टाी कोई अच्छी नहीं है। यदि इन्फ्लूएंजा लौटता है तो यह कोविड से पहले के बरसों के मुकाबले अब अधिक लोगों को प्रभवित करेगा और इसके कारण मरने वाले लोगों की संख्या भी अधिक होगी।

इन्फ्लूएंजा या कोरोना होने पर प्रतिरक्षा तंत्र की प्रतिक्रिया कमोबेश एक जैसी होती है। हाल में हुआ संक्रमण या टीकाकरण भविष्य में किसी संक्रमण के खिलाफ अच्छा बचाव करते हैं। मगर यह बचाव धीरे -धीरे कमजोर पड़ने लगता है। हालांकि इनके बाद दोबारा होने वाला संक्रमण या तो लक्षण रहित होता है या फिर बहुत ही मामूली। प्रतिरक्षा विकसित होने और फिर से संक्रमण होने के बीच का अंतराल यदि लंबा हो तो दोबारा होने वाले संक्रमण के अधिक गंभीर होने की आशंका रहती है।

कोरोना को फैलने से रोकने के लिए 2020 की शुरुआत से उठाए गए कदमों के कारण बीते 18 महीने के दौरान लोग फ्लू के संपर्क में ज्यादा नहीं आए। ऐसे में लोगों में इस रोग के खिलाफ जो प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता होती है वह कम हो गई है। दरअसल यही चिंता का विषय है।
इन हालात में जब फ्लू का प्रकोप शुरू होगा तो यह अधिकाधिक लोगों को प्रभावित करेगा और सामान्य हालात के मुकाबले अब लोगों को गंभीर रूप से बीमार करेगा। ऐसा ही श्वसन तंत्र को प्रभावित करने वाले अन्य विषाणु भी करेंगे। शायद ऐसा हो भी रहा हो। क्या पता?

ब्रिटेन में अभी इन्फ्लूएंजा की दर कम है, पर विषाणु फैलने लगा तो परिस्थितियां बदल सकती हैं। अच्छी बात यह है कि फ्लूरोधी प्रभावी टीके उपलब्ध हैं जो संक्रमण का जोखिम कम करते हैं। गंभीर रोग से भी बचाते हैं। हालांकि फ्लूरोधी टीके, कोविडरोधी टीके जितने प्रभावी नहीं हैं।
फ्लू के विषाणु तेजी से बदलते हैं और उनके कई स्वरूपों का प्रकोप हो सकता है। ये स्वरूप हर साल बदल जाते हैं। विषाणु का जो स्वरूप हावी रहने वाला है यदि वह टीके में शामिल नहीं है तो टीके का प्रभाव भी कम रहेगा। बीते 18 महीने में फ्लू के मामले इतने कम रहे हैं कि यह अनुमान लगाना कहीं अधिक मुश्किल होगा कि विषाणु का कौन सा स्वरूप अधिक संक्रामक हो सकता है।

जब कोरोना का प्रकोप शुरू ही हो रहा था तब इन्फ्लूएंजा भी फैल रहा था। ब्रिटेन के अध्ययनकर्ताओं ने दो तरह के मरीजों की तुलना की। पहले वे जो सिर्फ कोविड से पीड़ित थे और दूसरे वे जिन्हें कोविड के साथ-साथ इन्फ्लूएंजा भी था। दोनों तरह के संक्रमण से पीड़ित लोगों को गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती करने की जरूरत और वेंटीलेशन सुविधा की जरूरत दो गुना अधिक रही। उनके मरने का खतरा भी अधिक रहा। (स्रोत : एजंसी)

  • कोविड और फ्लू सर्दियों में कितना बड़ा खतरा बन सकते हैं। इसको लेकर विशेषज्ञों में चिंता है। कोरोना को फैलने से रोकने के लिए 2020 की शुरुआत से उठाए गए कदमों के कारण बीते 18 महीने के दौरान लोग फ्लू के संपर्क में ज्यादा नहीं आए। ऐसे में लोगों में इस रोग के खिलाफ जो प्राकृतिक प्रतिरोधक क्षमता होती है, वह कम हो गई है। दरअसल यही चिंता का विषय है।
  • इन हालात में जब फ्लू का प्रकोप शुरू होगा तो यह अधिकाधिक लोगों को प्रभावित करेगा और सामान्य हालात के मुकाबले अब लोगों को गंभीर रूप से बीमार करेगा।
फोटो : गूगल से साभार

About the author

ashrutpurva

Leave a Comment

error: Content is protected !!