अश्रुत पूर्वा II
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सामाजिक कल्याण पर केंद्रित साहित्य ही कालजयी है। यही कारण है कि रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्य आज भी हमें प्रेरणा देते हैं। उन्होंने कहा कि साहित्य को आकार देने में देश की संस्कृति और परंपरा अहम भूमिका निभाती हैं।
श्री नायडू विशाखापत्तनम में साहित्यिक संस्था ‘विशाखा साहित्य’ के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि साहित्य वह माध्यम है, जिसके जरिए एक राष्ट्र की महानता और वैभव को दिखाया जाता है। लेखक, कवि, बुद्धिजीवी और पत्रकार अपने लेखन और कार्यों में सामाजिक कल्याण को प्राथमिकता दें।
- उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू ने विशाखापत्तनम में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि साहित्य वह माध्यम है, जिसके जरिए एक राष्ट्र की महानता और वैभव को दिखाया जाता है। उनका सुझाव था कि लेखकों, कवियों, बुद्धिजीवियों और पत्रकारों को अपने लेखन और कार्यों में सामाजिक कल्याण को प्राथमिकता देना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि साहित्य को आकार देने में किसी देश की संस्कृति और परंपराएं बड़ी भूमिका निभाती हैं। अगर हम अपने लोक साहित्य को संरक्षित रखेंगे तो हम अपनी संस्कृति बचा पाएंगे। श्री नायडू ने तेलुगु भाषा की समृद्धि का जिक्र करते हुए कहा, हमारे जीवन के सभी पहलू साहित्य से प्रतिबिंबित होते हैं। इनमें हमारे पहनावे, खान-पान का ढंग, त्योहार, रीति-रिवाज और पेशा शामिल हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा, तेलुगु और अन्य भारतीय भाषाओं के संरक्षण से हमारी संस्कृति अपने अस्तित्व को बनाए रखने में सक्षम होगी और आने वाली पीढ़ियों को सही मार्ग दिखाएगी। (स्रोत : एजंसी)
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