काव्य कौमुदी गीत/ गद्यगीत/अन्य

श्याम सपनों में मेरे भी आए सखी

फोटो : साभार गूगल

नरेश शांडिल्य II

श्याम सपनों में मेरे भी आए सखी
कोई राधा को जाकर बताए सखी…

उनकी मुरली मेरे भी जिगर में बजी
उनकी सूरत मेरी भी नज़र में सजी
जितना देखा वो उतना ही भाए सखी
कोई राधा को …

हाथ थामे मेरा नाचते वो रहे
टकटकी बाँध कर ताकते वो रहे
मैं लजाई तो वो मुस्कुराए सखी
कोई राधा को …

चाँद मेरी अटारी पे अटका रहा
मेरा मन उनकी बाँहों में भटका रहा
वो तो काया पे माया से छाए सखी
कोई राधा को …

आँख मेरी ज़रा-सी लगी क्या अरी
ले गई उनको कोई गगन की परी
भोर होते ही वो तो न पाए सखी
कोई राधा को …

उनकी मुरली किसी की बपौती नहीं
वो किसी एक की नथ के मोती नहीं
वो नहीं एक बेरी के साए सखी
कोई राधा को …

उनकी आँखों में आँखें मेरी रह गईं
उनकी साँसों में साँसें मेरी रह गईं
कोई इससे भी ज़्यादा क्या पाए सखी
कोई राधा को …

( कविता संग्रह ‘टुकड़ा टुकड़ा ये ज़िन्दगी’ से … )

About the author

नरेश शांडिल्य

नरेश शांडिल्य

जन्म : दिल्ली, 15 अगस्त, 1958
शिक्षा : बी. कॉम ; एम.ए. हिंदी
प्रतिष्ठित कवि, दोहाकार, शायर, नुक्कड़ नाट्य कर्मी, समीक्षक और संपादक। विभिन्न विधाओं में आपके 7 कविता संग्रह प्रकाशित, 6 पुस्तकों का संपादन।
हिंदी अकादमी , दिल्ली सरकार का साहित्यिक कृति सम्मान ; वातायन ( लंदन ) का अंतरराष्ट्रीय कविता सम्मान ; 'परम्परा ऋतुराज सम्मान'
देश-विदेश में अनेक कविसम्मेलन, संगोष्ठियों में भागीदारी।
सलाहकार सदस्य : फ़िल्म सेंसर बोर्ड , सूचना व प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार।

संपर्क
: सत्य सदन , ए 5 , मनसा राम पार्क, संडे बाज़ार लेन, उत्तम नगर, नई दिल्ली 110059
9868303565 (whatsapp)
9711714960
Email : nareshshandilya007@gmail.com

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