चिराग इंडिया II
तेरी ख़ामोशियां दिलबर मेरा दिल तोड़ देती हैं
तेरी जानिब बढ़े क़दमों को अक्सर मोड़ देती हैं
हमारे रब्त ए बाहम की बसी हैं दिल में जो यादें
मेरे टूटे हुए दिल को पलों में जोड़ देती हैं
हुआ है नाख़ुदा बेबस भले पतवार हाथों में
हवाएं करती मनमानी, वो कश्ती मोड़ देती हैं
उमीदों के बिना ये ज़िंदगी इक पल नहीं चलती
उमीदें टूट जाएं तो वो दिल को तोड़ देती हैं
चिराग़ अब आम हैं क़िस्से ज़माने में हसीनों के
लगाकर दिल ये आशिक़ को तड़पता छोड़ देती हैं
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