ग़ज़ल/हज़ल

तेरी ख़ामोशियां

चिराग इंडिया II

तेरी ख़ामोशियां दिलबर मेरा दिल तोड़ देती हैं
तेरी जानिब बढ़े क़दमों को अक्सर मोड़ देती हैं

हमारे रब्त ए बाहम की बसी हैं दिल में जो यादें
मेरे टूटे हुए दिल को पलों में जोड़ देती हैं

हुआ है नाख़ुदा बेबस भले पतवार हाथों में
हवाएं करती मनमानी, वो कश्ती मोड़ देती हैं

उमीदों के बिना ये ज़िंदगी इक पल नहीं चलती
उमीदें टूट जाएं तो वो दिल को तोड़ देती हैं

चिराग़ अब आम हैं क़िस्से ज़माने में हसीनों के
लगाकर दिल ये आशिक़ को तड़पता छोड़ देती हैं

About the author

चिराग इंडिया

मुकेश कुमार वर्मा इनका नाम है। लखनऊ के निवासी हैं। एक सरकारी अधिकारी हैं और गुड़गांव में रहते हैं। हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू भाषाओं का कार्यसंगत ज्ञान है इनको। तखल्लुस के बारे में पूछने पर कहते हैं कि ये सिर्फ़ एक इंसान बन कर रहना चाहते हैं और अपने सुखन की खुशबू चारों ओर फैलाना चाहते हैं। बहुत आसान हिंदी भाषा में अपने शेर और ग़ज़ल लिखकर फेसबुक पर पोस्ट करते हैं जो हर कोई समझ सके। जो थोड़ा बहुत ज्ञान अर्जित किया है उसे बाटने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।

Mob no 945302445

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