मनस्वी अपर्णा II
मुनाफकत से बुरा तो जनाब क्या होगा
अजाब ये नहीं तो फिर अजाब क्या होगा //१//
हमारा रहनुमा ही गुमशुदा ओ गाफिल है
सफर में इससे जियादा खराब क्या होगा //२//
हिसाब आप लगा लीजिए मेरी खातिर
कि बेहिसाब गमों का हिसाब क्या होगा //३//
सवाल हश्रे तआल्लुक पे कर तो लें लेकिन
हमें खबर है तुम्हारा जवाब क्या होगा //४//
तुम्हारे नाम से बदनाम हैं जमाने में
अजीम इससे कोई भी खिताब क्या होगा //५//
किसी के खौफ से खुद को बुझा दिया जिसने
वो होगा और कोई आफताब क्या होगा //६//
हरेक सिम्त हमारी है बदगुमानी फिर
हमारी जीस्त से बढ़ कर सराब क्या होगा //७//
हमीं ने अश्कों को खुद बढ़के इ़ंतखाब किया
उजाड़ आंखों में अब कोई ख़्वाब क्या होगा //८//
खुदाई चल रही किस एहतिमाम से अब तक
ये इल्म ही नहीं है तो सवाब क्या होगा //९//