काव्य कौमुदी ग़ज़ल/हज़ल

योगिता ‘ज़ीनत’ की तीन ग़ज़लें

योगिता शर्मा ‘ज़ीनत’ II

(1)

दिल  से  कैसा  है  राब्ता  तेरा
मुझपे  तारी  है  बस  नशा  तेरा

इश्क़  की  दास्तान  लिखनी  थी
मैंने  बस  नाम  लिख  दिया तेरा

राज़  आँखों ने  खोल  डाले सब
ज़िक्र महफ़िल में जब हुआ तेरा

अक्स  मुझमें उतार  दे  अपना
मुझको  बनना  है  आईना  तेरा

उम्र   सारी   तलाश  में  गुज़री
ज़िन्दगी अब  तो  दे पता  तेरा

अपने दिल की कहाँ सुनी मैंने
मैं  तो  करती  रही  कहा  तेरा

मेरी  आँखों  ने  एक  मुद्दत  से
रोज़   देखा   है   रास्ता   तेरा

मुझसे  तय  ही नहीं हुआ ‘ज़ीनत’
दिल  से  इतना  था  फ़ासला तेरा

(2)

रस्में – उल्फत  में क्या किया जाए
दिल लिया जाए , दिल दिया जाए

दे  चुका  इश्क़  इम्तिहां  कितने
अब तो कुछ फ़ैसला किया जाए

वस्ल  की  तो  नहीं  कोई उम्मीद
ग़म-ए-फुरकत में ही जिया जाए

ज़ख़्म  ताज़ा हैं  सुर्ख़ हैं आँखें
ख़ून  का घूँट  पी  लिया  जाए

हुस्न  के  साथ  तो  है  मज़बूरी
इश्क़ ज़ालिम है क्या किया जाए

एहतरामन  सलाम  करती हूँ
कोई मतलब नहीं लिया जाए

जान  पड़ जाएगी रदीफ़ों में
क़ाफ़िया बोलता लिया जाए

बात  करना मुहाल है  ‘ज़ीनत’
अपने होठों को सी लिया जाए


(3)

बाद  मुद्दत  मुझे  मिला  है वो
चाहतों  का  मेरी  सिला है वो

वो  जो  तन्हा  दिखाई  देता है
आप अपने में काफ़िला  है वो

मैं  हूँ  महफ़ूज़ उसके  साये में
एक  मज़बूत सा किला  है वो

उसने ख़ुशबू  बिखेर दी हर सू
फूल जैसा खिला- खिला है वो

रूह  में  ताज़गी  हुई  महसूस
जब  कभी टूटकर  मिला है वो

उससे जुड़ती है हर कड़ी ‘ज़ीनत’
मेरे  माज़ी  का  सिलसिला  है वो

About the author

योगिता शर्मा 'ज़ीनत'

जन्मतिथि : 5 दिसंबर ,1978
शिक्षा : बी कॉम , एम ए लोक प्रशासन

प्रकाशन : देश की अनेक प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में निरन्तर प्रकाशन ।
ई मेल आई डी :
yogita.zeenat@gmail.com
ग़ज़ल के 3 अल्बम : ' दर्द ' ' दो पल ' ' माहताब ' जारी
एक दोहा संग्रह और एक ग़ज़ल संग्रह प्रकाशनाधीन।
सम्मान : ' नवांकुर साहित्य सम्मान ' ( नवांकुर काव्य प्रतियोगिता में प्रथम स्थान) ; ' नारी शक्ति सम्मान ' ; विवेकानन्द गौरव सम्मान ' ; " हसरत जयपुरी गौरव रत्न सम्मान "

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