समीक्षा

पांच के सिक्के और खुशियां

फोटो- साभार गूगल

अश्रुत पूर्वा II

जीवन क्या है? यह और कुछ नहीं, बस छोटी-छोटी खुशियों की तलाश है। यह ढूंढने से नहीं बल्कि जीवन की धारा में बहती हुई खुद गले लगती है। खुशी आपको कहीं भी मिल सकती है। किसी भी रूप में। बेवजह या बेपरवाही में आप को अपार मुस्कुराहट मिल सकती है- किसी भी छोटी चीज में। जैसे हो सकता है जितनी खुशी आपको एक कच्चे घर में मिले, वह दुनिया के किसी शाही महल में आप को न मिले। जैसे हो सकता है कि एक छोटी सी चीज आप को बड़ी खुशी दे जाए और ये भी हो सकता है कि बड़ी चीज आपको छोटी सी खुशी भी न दे पाए।    

खुुशियों पर इतनी बड़ी भूमिका इसलिए कि युवा कहानीकार शैलजा कौशल कोछड़ का कहानी संग्रह ‘पांच के सिक्के तथा अन्य कहानियां’ और कुछ नहीं खुशी की तलाश है। इस युवा कहानीकार का भी मानना है कि जीवन में खुशियां बरबस आ मिलती हैं। कभी छूट भी जाती हैं। यही खुशियां सपनों में आती है। ऐसे भी कुछ लोग हैं जिनके लिए यही छोटी खुशियां महत्वाकांक्षाएं बन जाती हैं।

हाल में आस्था प्रकाशन जालंधर से छप कर आया शैलजा की कहानियों का संग्रह पांच के सिक्के पढ़ कर लगता है कि उनके पात्र अपनी खोई खुशियां ढूंढ रहे हैं। चाहे वह कहानी कचौरी वाली गली का युवा शिशिर हो या पांच के सिक्के की जया। इसी तरह कहानी मेरी सिक्ता में भी नायक संभव को उसकी खुशी एक लंबे इंतजार के बाद और अचानक ही मिली।

कहानीकार का कैनवस इतना बड़ा होता है कि उसमें आसमान समा जाए। और इससे भी बड़ी उसकी कल्पना होती है, जहां वह आपने पात्रों के माध्यम से जीवन संघर्षों के चित्र उकेरते हुए उनके जज्बातों का मर्म भी बयां करता है। शैलजा कौशल का भी कल्पना लोक बड़ा है। यहां उनके पात्र खुशियां खोते हैं तो अचानक पा भी जाते हैं। उनकी कहानियों में कालेज छात्र और संभव आचार्य ऐसे ही नायक हैं। शैलजा की कहानियों में एक खास बात है। वे एक झटके के साथ खत्म होती हैं। इसके बाद आप अनुमान लगाते रहिए कि आगे क्या हुआ होगा। यही तो कहानी की सार्थकता है। शैलजा भी कहती हैं कि कुछ बातें कल्पना पर छोड़ देनी चाहिए। इससे पाठक में एक लेखक की आत्मा का बीजारोपण होता है।

कोई दो राय नहीं कि शैलजा की कहानियों के पात्रों की स्मृति यात्रा अपनी खुशियों की तलाश में चलती जाती हैं। उनकी भाषा शैली इतनी सहज और प्रवाहमय है कि आप एक के बाद एक कहानियां पढ़ते जाते हैं। फिर खत्म कर के छोड़ते हैं। इस क्रम में पाठक भी अपनी कोई भूली-बिसरी खुशी तलाश रहा होता है।  कहानी संग्रह की साज-सज्जा वयोवृद्ध साहित्यकार मोहन सपरा जी की है।

लेखिका: शैलजा कौशल कोछड़
कहानी संग्रह- पांच के सिक्के तथा अन्य कहानियां            
प्रकाशक- आस्था प्रकाशन
मूल्य- एक सौ अस्सी रुपए

About the author

ashrutpurva

Leave a Comment

error: Content is protected !!