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मशहूर गायिका संध्या मुखर्जी नहीं रहीं, शोक में डूबे प्रशंसक

फोटो: साभार गूगल

अश्रुत पूर्वा II

नई दिल्ली। संगीत की दुनिया के लिए यह दूसरा बड़ा झटका है। स्वर कोकिला लता मंगेशकर के बाद बंगाल की मशहूर शास्त्रीय गायिका संध्या मुखर्जी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। मंगलवार की शाम दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। वे 90 साल की थीं। उन्होंने प्रसिद्ध संगीतकारों एसडी बर्मन, नौशाद और सलील चौधरी के साथ काम किया था। संध्या मुखर्जी के परिवार में बेटी और दामाद हैं। कुछ समय पहले पद्मश्री सम्मान ठुकराने के कारण वे चर्चा में आई थीं।

तबीयत खराब होने के कारण संध्या मुखर्जी 27 जनवरी से अस्पताल में थीं। उन्हें रक्तचाप बढ़ाने की दवा दी जा रही थी। इस बीच रक्तचाप गिरने के कारण मंगलवार दोपहर उन्हें सघन चिकित्सा कक्ष में ले जाया गया। अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी  के मुताबिक शाम करीब साढ़े सात बजे उन्हें दिल का दौरा पड़ा। उन्हें बचाया नहीं जा सका। उनके निधन की खबर फैलते ही उनके लाखों प्रशंसकों में शोक छा गया।

प्रतिष्ठित गायिका संध्या मुखर्जी को बंग बिभूषण और सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला था। उन्होंने इस साल गणतंत्र दिवस से पहले पद्म पुरस्कारों की घोषणा के लिए सरकार की ओर से संपर्क किए जाने पर पद्मश्री पुरस्कार स्वीकार नहीं किया था। उनका मानना था कि 90 साल की उम्र में और आठ दशक की गायिकी के लिए पद्मश्री के लिए चुना जाना अपमानजनक है।
फोटो: साभार गूगल

निधन की खबर मिलते ही भारत और बांग्लादेश में बांग्ला के लगभग सभी टीवी चैनल और रेडियो स्टेशनों से संध्या दीदी के गाने बजाए जी रहे हैं। उनकी फिल्मों के क्लिप दिखाए जा रहे हैं। कोलकाता में 1931 में जन्मीं मुखर्जी का निधन इस महीने संगीत जगत के लिए दूसरा बड़ा झटका है। कुछ ही दिन पहले ही स्वर कोकिला लता मंगेशकर का निधन हुआ था। संगीत प्रेमियों के लिए यह शोक की घड़ी है। प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि उनके जाने से संस्कृति जगत और निर्धन हो गया है। उन्होंने ट्वीट किया, गीतश्री संध्या मुखोपाध्याय के गुजर जाने से हम सभी दुखी हैं।

कोलकाता स्थित अपने आवास के बाथरूम में फिसल कर गिरने के एक दिन बाद संध्या मुखर्जी को 27 जनवरी को  एसएसकेएम अस्पताल में ले जाया गया था। वहां उनके कोरोना से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी। उनके विभिन्न अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। गिरने के कारण बायें कूल्हे की हड्डी टूट गई थी।

संध्या मुखर्जी ने 1950 में फिल्म तराना में एक गीत गाकर बॉलीवुड में अपने करिअर की शुरुआत की थी। उन्होंने 17 हिंदी फिल्मों के लिए गाने गाए। मगर निजी कारणों से वे 1952 में कोलकाता लौट आई और 1966 में बांग्ला कवि श्यामल गुप्ता से शादी कर ली थी। इसके बाद उन्होंने कई बांग्ला और बांग्ला गीत गाए।

प्रतिष्ठित गायिका संध्या मुखर्जी को बंग बिभूषण और सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला था। उन्होंने इस साल गणतंत्र दिवस से पहले पद्म पुरस्कारों की घोषणा के लिए सरकार की ओर से संपर्क किए जाने पर पद्मश्री पुरस्कार स्वीकार नहीं किया था। उनका मानना था कि 90 साल की उम्र में आठ दशक की गायिकी के लिए पद्मश्री के लिए चुना जाना अपमानजनक है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने संध्या मुखर्जी को मधुर ध्वनि की रानी के रूप में सम्मानित करते हुए कहा कि उनके जाने से संगीत की दुनिया और उनके लाखों अनुयायियों के दिलों में हमेशा के लिए सूनापन आ गया है।

हिंदुस्तानी संगीत के उस्ताद अजय चक्रवर्ती ने कहा, मेरे लिए यह निजी क्षति है। वे मां समान थीं। मुझे अब भी यकीन नहीं हो रहा कि वे नहीं रहीं। अभिनेत्री माधवी मुखर्जी ने भी गायिका संध्या मुखर्जी को अपनी बड़ी बहन की तरह बताया। (एजंसी इनपुट)

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Ashrut Purva

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