कविता

अमनदीप गुजराल ‘विम्मी’ की कविताएं

अमनदीप गुजराल ‘विम्मी’ II

स्त्रियों का शुक्रिया कौन अदा करता है…?
—————————–
कवि
तुमने कहा था पूछना नदी से
कि तुम कैसी हो…!!
सुनो न कवि,
पुल से गुजरते हुए
एक दिन
पूछ ही लिया मैंने
नदी तुम कैसी हो…?
कितने ही खुरदुरे पत्थरों को
तराशा है तुमने
खुद को खोने से पहले
कितनी ही पीड़ाएं
सोखी हैं, बहाई हैं,
कितने प्यासों की प्यास भी बुझाई है
शुक्रिया अदा किया किसी ने?
बुदबुदाई नदी
निर्मल मुस्कान लिए तुम भी न…!

यह समय खत्म ही नहीं होता
———————–
मैं एक मां हूं
मेरी सबसे बड़ी पीड़ा आज यह है
कि अपनी बेटी को ही
नहीं सिखा पा रही
करना विश्वास
किसी एक जात (मर्द) पर

यह जानते हुए भी
किसी भी रिश्ते की नींव
टिकी होती है विश्वास पर
पहले करना अविश्वास
कहना चाहती हूं
यह एक अविश्वासी समय है
जो खत्म ही नहीं होता…।

सबसे मजबूत कंधे पिता के होते हैं
———————
दुनिया में सबसे मजबूत कंधे
पिता के होते हैं
जो उम्र के बोझ से
दब जाएं भले
परन्तु संतान की
नाकामियों
तकलीफों
गलतियों
आकांक्षाओं को
बखूबी ढोने की हिम्मत रखते हैं
छायादार वृक्ष
सदृश
उम्र की दहलीज के
अंतिम पड़ाव तक
एक-एक कर चुकते पत्ते
तब तक साया देते हैं
जब तक सलामत रहता है
आखिरी पत्ता…

About the author

Amandeep Gujral

अमनदीप गुजराल
उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में जन्मी अमनदीप गुजराल ‘विम्मी’ की प्रारंभिक शिक्षा बालको (छत्तीसगढ़) के केंद्रीय विद्यालय में हुई। लिखने का क्रम आठवीं कक्षा से शुरू हुआ, जो प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं एवं साझा काव्य संकलनों से गुजरता हुआ संग्रह (ठहरना जरूरी है प्रेम में) के रुप में सामने आया है। वे कहानियां भी लिखती हैं। एमकॉम तक शिक्षा प्राप्त अमनदीप नवी-मुंबई में निवास करती हैं। लेखन उनके लिए उम्मीद की किरण है। श्रद्धा है, एक सतत प्रयास है।

Leave a Comment

error: Content is protected !!