अश्रुत पूर्वा II
नई दिल्ली। कन्नड़ के प्रसिद्ध साहित्यकार डा. चन्नवीर कणवी का बुधवार 16 अगस्त को निधन हो गया। वे 94 साल के थे। उन्हें स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां थीं। कणवी ने धारवाड़ के एसडीएम अस्पताल में अंतिम सांस ली।
कणवी का जन्म 29 जून 1928 को गडग जिले के होमबल गांव में हुआ था। मां पार्वतवा गृहिणी थीं। जबकि पिता सक्करप्पा शिक्षक थे। कणवी ने प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही पूरी की। इसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वे धारवाड़ आ गए।
- डा. चन्नवीर कणवी ने अपनी लेखन यात्रा में 15 से अधिक पुस्तकें लिखीं। इनमें कविताओं का संकलन, निबंधों का संग्रह और कई दूसरी पुस्तकें शामिल हैं। उन्हें उनकी पुस्तक जीवनध्वनि के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें राज्योत्सव पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। वहीं साहित्य बांगरा पुरस्कार सहित कई अन्य पुरस्कार मिले थे।
डा. चन्नवीर ने अपनी लेखन यात्रा में 15 से अधिक पुस्तकें लिखीं। इनमें कविताओं का संकलन, निबंधों का संग्रह और कई दूसरी पुस्तकें शामिल हैं। उन्हें उनकी पुस्तक जीवनध्वनि के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें राज्योत्सव पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। वहीं साहित्य बांगरा पुरस्कार सहित कई अन्य पुरस्कार मिले थे।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कणवी के निधन पर गहरा दुख जताया है। उन्ंहोंने कहा, कानवी कन्नड़ साहित्य के सबसे रचनात्मक लेखकों में से एक थे। वे विनम्रता के प्रतीक थे। अपने मृदुभाषी और सौम्य स्वभाव से दिल जीत लेते थे। उनके जाने से साहित्य जगत को बड़ा नुकसान हुआ है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम चंपा, सिद्धंलगैया और अब कानवी जैसे कई साहित्यकारों को खो रहे हैं। नए लेखकों को इन महान साहित्यकारों से प्रेरणा लेनी चाहिए और शीर्ष गौरव पाने के प्रयास करने चाहिए। (स्रोत : एजंसी)
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