अश्रुत पूर्वा II
नई दिल्ली। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद वहां ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल तथा तमाम धरोहर खतरे में हैं। इन्हें बचाने के लिए कोई अंतरराष्ट्रीय संस्था आगे नहीं आई है। अलबत्ता, यूनेस्को ने जरूर चिंता चताई है। यूक्रेन के बड़े शहर खारकीव में हालत खराब है। वहां ‘फ्रीडम स्क्वायर’ खंडहर में बदल गया है। कई धरोहर स्थल युद्ध की विभीषिका झेल रहे हैं। इस पर दुनिया भर के धरोहर विशेषज्ञ चिंता जता रहे हैं।
यूक्रेन के दूसरे बड़े शहर खारकीव पर हमला कोई पहली बार नहीं हुआ। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी के नाजी सैनिकों ने भी यहां धावा बोला था। मगर प्रसिद्ध सिटी सेंटर स्क्वायर पर रूस के हमले ने सभी पुरातत्तव प्रेमियों का ध्यान खींचा है। बता दें कि यह ऐतिहासिक स्थल यूरोप के सबसे बड़े स्क्वायर में से एक है। सदी भर पुराने फ्रीडम स्क्वायर का नया नामकरण सोवियत संघ के बिखरने के बाद और यूक्रेन की आजादी के बाद 1991 किया गया। हैरत की बात है कि बार-बार रूसी मिसाइलों ने इसे निशाना बनाया। बमबारी से ऐतिहासिक खारकीव ओबलास्ट काउंसिल •ावन और इसके आसपास के ऐतिहासिक ढांचे तबाह हो गए।
रूस के सैन्य आक्रमण के बीच यूनेस्को ने यूक्रेन में सांस्कृतिक धरोहरों पर हमले की कड़ी निंदा की है। धरोहर विशेषज्ञों ने कहा कि खारकीव के बाद कीव और ओडेसा जैसे अन्य ऐतिहासिक शहरों में भी धरोहर स्थल खतरे में हैं। युद्ध में सांस्कृतिक स्थलों पर हमले इसलिए किए जाते हैं क्योंकि एक पक्ष दूसरे पक्ष की महानता को ठुकरा देता है। जबकि धरोहर स्थल किसी भी देश के अतीत के गौरव और स्वाभिमान होते हैं।
फोटो : तबाही के बाद बची जिंदगी/ साभार गूगल
अंतराराष्ट्रीय संस्थाओं ने यूक्रेन के ऐतिहासिक और पुरातत्विक धरोहर के संरक्षण को लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि युद्ध में प्राय: सांस्कृतिक धरोहर को निशाना बनाया जाता है ताकि दूसरे पक्ष के गौरव और स्वाभिमान को ठेस पहुंचाई जा सके। आज जब खारकीव की यह स्थिति है तो कल कीव की बारी आ सकती है क्योंकि रूसी सेना उसके नजदीक पहुंच रही है। यूनेस्को के महानिदेशक आड्री एजौले ने यू्क्रेन के सांस्कृतिक धरोहरों को बचाने की अपील की है। यूनेस्को ने एक विज्ञप्ति में कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के दायित्वों को रेखांकित तो करता ही है, विशेष रूप से सशस्त्र संघर्ष की स्थिति में सांस्कृतिक संपत्ति के संरक्षण के लिए 1954 के हेग समझौते और1999 का पालन किया जाए। (स्रोत : एजंसी इनपुट)
शुद्ध समाचारों की कतरन का संयोजन। नया कुछ नहीं। अच्छा लगता इस त्रासदी को लुप्त/नष्ट भारतीय धरोहरों में पिरोकर लिखा जाता है। पिछले एक माह से यही तो सुनते-पढ़ते आ रहे नया क्या? प्रस्तुति का ध्येय क्या?