अश्रुत तत्क्षण

हिंदी भाषा को अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार करने पर जोर

फोटो-केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह/ साभार गूगल

अश्रुत पूर्वा II

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि जब तक हम स्थानीय भाषाओं के शब्दों को स्वीकार करहिंदी को लचीला नहीं बनाएंगे तब तक इसका प्रसार नहीं किया जा सकता। उनके मुताबिक अब समय आ गया है कि राजभाषा को देश की एकता का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया जाए। गृह मंत्री ने कहा कि जब राज्यों के नागरिक एक दूसरे से संवाद करते हैं तो उनके बीच वार्ता एक भाषा में होनी चाहिए चाहे वह क्षेत्रीय हो या राज्य की विशिष्ट भाषा। गृह मंत्री संसदीय राजभाषा समिति की 37वीं बैठक की अध्यक्षता करते हुए ये बातें कहीं।

समिति की बैठक में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा और निशीथ प्रमाणिक, राजभाषा संसदीय समिति के उपाध्यक्ष भर्तृहरि महताब और समिति के सदस्य  मौजूद थे।

केंद्रीय गृह मंत्री ने इस मौके पर हिंदी भाषा को अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हिंदी को स्थानीय भाषाओं के विकल्प के रूप में नहीं वरन अंग्रेजी के विकल्प के रूप में स्वीकार करना चाहिए। इस दौरान गृह मंत्री ने समिति सदस्यों की सर्वसम्मति से समिति की रिपोर्ट के 11वें खंड को राष्ट्रपति के पास भेजने को मंजूरी दी। राजभाषा समिति की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि इस समय राजभाषा समिति जिस गति से काम कर रही है वह शायद ही पहले कभी देखी गई हो। समिति के एक ही कार्यकाल में राष्ट्रपति को तीन रिपोर्ट भेजना उपलब्धि है।

पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में हिंदी को बढ़ावा

संसदीय राजभाषा समिति की 37वीं बैठक में गृहमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में हिंदी को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इसके लिए वहां 22 हजार हिंदी शिक्षकों की भर्ती की गई है। वहीं उत्तर पूर्व के नौ आदिवासी समुदायों ने अपनी बोलियों की लिपियों को देवनागरी में बदल दिया है। इसके अलावा पूर्वोत्तर के सभी आठ राज्यों में दसवीं कक्षा तक के स्कूलों में हिंदी अनिवार्य करने पर सहमति बनी है।

समिति की बैठक में गृहमंत्री शाह ने कहा कि पूर्वोत्तर के आठ राज्यों में हिंदी को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए वहां 22 हजार हिंदी शिक्षकों की भर्ती की गई है। वहीं उत्तर पूर्व के नौ आदिवासी समुदायों ने अपनी बोलियों की लिपियों को देवनागरी में बदल दिया है। इसके अलावा पूर्वोत्तर के सभी आठ राज्यों में दसवीं कक्षा तक के स्कूलों में हिंदी अनिवार्य करने पर सहमति बनी है।

इस मौके पर शाह ने तीन मुख्य बिंदुओं पर जोर दिया। पहला, रिपोर्ट के पहले से 11वें खंड तक की गई सिफारिशों के कार्यान्वयन के लिए जुलाई में एक बैठक की जाए। दूसरे बिंदु के तहत उन्होंने नौवीं तक के छात्रों को हिंदी का प्रारंभिक ज्ञान देने और हिंदी शिक्षण परीक्षाओं पर अधिक ध्यान देने पर जोर दिया। तीसरे बिंदु के तहत हिंदी शब्दकोश को संशोधित कर दोबारा प्रकाशित करने का सुझाव दिया। राजभाषा समिति के अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने फैसला किया है कि सरकार चलाने का माध्यम राजभाषा है और इससे हिंदी का महत्व बढ़ेगा। (स्रोत : एजंसियां)

फोटो-केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह/  साभार गूगल

About the author

ashrutpurva

1 Comment

  • गृह मंत्री अमित शाह ने कोई नई बात नहीं की है। पिछले बीस वर्ष से भी अधिक समय से यही बातें हो रही है। राजभाषा नीति का पुनर्विलोकन और विश्लेषण किए बगैर यही कहा जा सकता है कि बातें हैं, बातों का क्या।

Leave a Comment

error: Content is protected !!