कुलदीप सिंह भाटी II
पहले जहाँ
नदियों के किनारे होती थी विकसित
सभ्यताएँ हमारी
वहीं अब
नदियों को किनारे कर हो रही हैं विकसित
सभ्यताएँ हमारी
पहले की सभ्यताएँ पढ़ी जाती हैं
नदी घाटियों के संग
और आज की सभ्यताएँ पढ़ाई जाएंगी
घटती नदियों के संग
नदी, किनारे, विकास..
तब भी थे और आज भी हैं
कुछ ज्यादा तो कुछ कम
कहीं शुष्क तो कहीं नम
किंतु इन सबसे इतर
हम सभ्य हैं या नहीं
इस अनुत्तरित प्रश्न का
उत्तर खोजेगी
हजारों वर्षों बाद
हमारी आने वाली पीढि़याँ और पुरातत्वविद् ।
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