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गीतांजलि श्री के उपन्यास ‘रेत समाधि’ को बुकर पुरस्कार

फोटो गूगल से साभार

अश्रुत पूर्वा II

नई दिल्ली। यह हिंदी के लिए और इसके सभी लेखकों के लिए गौरव का क्षण है। भारतीय लेखिका गीतांजलि श्री के हिंदी उपन्यास ‘रेत समाधि’ (टॉम्ब आॅफ सैंड) को बुकर पुरस्कार मिलने से यह गौरव और बढ़ गया है। इसी के साथ गीतांजलि श्री यह अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त करने वाली पहली हिंदी लेखिका बन गई हैं। बता दें कि ‘टॉम्ब आॅफ सैंड’ गीतांजलि श्री के हिंदी में लिखे उपन्यास ‘रेत समाधि’ का अंग्रेजी अनुवाद है। जिसे डेजी रॉकवेल ने अनुवाद किया है।

इस उपन्यास में एक बुजुर्ग महिला की कहानी है जो पाकिस्तान जाकर बंटवारे के समय की अपनी पीड़ा का हल तलाशने की कोशिश करती है। वह इस बात को भी महसूस करने की कोशिश करती है कि एक मां, बेटी, महिला और नारीवादी होने के क्या मायने हैं। लंदन में आयोजित समारोह में लेखिका गीतांजलि ने कहा कि वे इस पुरस्कार को पाकर बेहद भावुक हो गई हैं। लेखिका को पुरस्कार के तौर पर 50 हजार पाउंड दिए गए, जिसे उन्होंने उपन्यास की अनुवादक रॉकवेल के साथ साझा किया है। बुकर पुरस्कार के लिए चयन करने वाले निर्णायक दल ने इस उपन्यास को बेहतरीन बताया।

पुरस्कार ग्रहण करने के दौरान लेखिका ने अपने संबोधन में कहा, मैंने कभी बुकर पुरस्कार जीतने का सपना नहीं देखा था। कभी सोचा नहीं था कि मैं यह कर सकती हूं। यह बड़ी उपलब्धि है। मैं सम्मानित महसूस कर रही हूं। उन्होंने कहा, ‘रेत समाधि’ एक शोकगीत है, उस दुनिया का जिसमें हम रहते हैं। यह एक ऐसी ऊर्जा है, जो आशंकाओं के बीच आशा की किरण जगाती है। बुकर पुरस्कार मिलने से यह पुस्तक अब और ज्यादा लोगों के बीच पहुंचेगी।

बता दें कि रेत समाधि (टॉम्ब आॅफ सैंड) बुकर पुरस्कार जीतने वाला पहला हिंदी उपन्यास है। पुरस्कार समारोह में रॉकवेल भी उपस्थित थीं। उन्होंने इस उपन्यास को ‘हिंदी भाषा के लिए प्रेम पत्र’ बताया। रॉकवेल जानी-मानी लेखक और अनुवादक होने के साथ चित्रकार भी हैं। वे अमेरिका में रहती हैं। निर्णायक दल के अध्यक्ष फ्रैंक वायने ने कहा, हम गीतांजलि श्री के उपन्यास की मार्मिकता से प्रभावित हैं। डेजी रॉकवेल ने इसका बेहतरीन अनुवाद किया है।

गीतांजलि श्री ने बुकर पुरस्कार की दौड़ में शामिल पांच अन्य उपन्यासों को पछाड़ कर यह प्रतिष्ठित पुरस्कार अपने नाम किया। इस पुरस्कार के लिए 135 कृतियों का चयन किया गया था। इस साल पहली बार इन सभी कृतियों के लेखकों और अनुवादकों को 2,500 पाउंड दिए जाएंगे। (यह खबर एजंसियों की खबरों पर आधारित)

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