अश्रुत तत्क्षण

तस्वीरों में सिनेमाघरों का खोया हुआ एक दौर

फोटो- गूगल से साभार

  अश्रुत पूर्वा II

नई दिल्ली। कोलकाता में दो जाने-माने छायाकार हमेशा के लिए बंद हो चुके सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों में फिल्म देखने से जुड़ी मानवीय भावनाओं को दर्शाने के लिए एक साथ आए हैं। यह एक सुखद पहल है। पुराने सिनेमघरों का भी एक सुनहरा दौर था। जब सज-संवर कर लोग फिल्म देखने जाया करते थे।

कोलकाता में चल रही प्रदर्शनी कर्टेन क्लोज्स में फोटो पत्रकार अमित धर और वाणिज्यिक फोटोग्राफर सत्यकी घोष द्वारा खींची गईं 29 तस्वीरें हैं जो कई सिनेमाघरों, उनके परिवेश, अब फीके पड़ चुके एनालॉग प्रोजेक्टर और दर्शकों की भावनाओं, उनके सपने और चेहरे को सामने रखती हैं।

काउंटर पर टिकट खरीदने के लिए सिनेमा प्रेमियों की भीड़ बरबस ध्यान खींचती है। वहीं राष्ट्रगान के लिए खड़े होने से लेकर साथ में फिल्म देखने वाली बुजुर्ग महिलाओं के क्लोज-अप और मध्यांतर के दौरान बीड़ी का कश लेते थके-मांदे मजदूरों तक की तस्वीरें भी इनमें शामिल हैं। ये सभी तस्वीरें एक पुराने दौर की यादें सामने रखती हैं।

बता दें कि कोलकाता के बालीगंज इलाके में इस फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन फिल्मकार सत्यजीत रे के बेटे संदीप ने 15 मई को किया था। फोटोग्राफर सत्यकी घोष ने कहा, आजकल, कोई भी मोबाइल पर फिल्म देख सकता है। सभी मल्टीप्लेक्स और अधिकतर सिंगल स्क्रीन जो अभी भी काम कर रहे हैं, उनमें डिजिटल प्रोजेक्शन प्रणाली है। मेरी कुछ तस्वीर एनालॉग प्रणाली से संबंधित हैं जो अब प्रचलन में नहीं है। कई कारणों से पिछले कुछ बरसों में देश भर में बड़ी संख्या में सिंगल स्क्रीन वाले थिएटर बंद हो गए हैं। अब सिर्फ उनकी यादें बची हैं। एक दौर वह भी था। एक दौर यह भी है।

About the author

ashrutpurva

Leave a Comment

error: Content is protected !!