अश्रुत पूर्वा II
नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिलने पर लेखिका गीतांजलि श्री को देश-विदेश से लगातार बधाई मिल रही है। कई लेखकों ने इस घड़ी को वैश्विक हो रही हिंदी के लिए एक नई उठान, एक नई ऊर्जा बताया है। निरंतर दी जा रही बधाई की कड़ी में अब जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) का नाम भी सामने आया है, जिसने प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार जीतने पर अपनी पूर्व छात्रा गीतांजलि श्री को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।
जैसा कि हम सब जानते हैं कि गीतांजलि श्री का उपन्यास ‘रेत समाधि’ बुकर पुरस्कार जीतने वाली भारतीय भाषा की पहली पुस्तक बन गई है। गीतांजलि को उनके उपन्यास रेत समाधि के अंग्रेजी अनुवाद ‘टूंब आफ सैंड’ के लिए यह अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। इस उपन्यास में 80 साल की एक महिला की कहानी है। बुकर के निर्णायक मंडल ने इसे एक उत्कृष्ट उपन्यास करार दिया है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय ने शनिवार को ट्वीट किया, जेएनयू की पूर्व छात्रा गीतांजलि श्री को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली हिंदी लेखिका बनने के लिए बहुत-बहुत बधाई। एक कहानी सब कुछ बयां कर सकती है।
बता दें कि ‘टूंब आफ सैंड’ गीतांजलि श्री के हिंदी में लिखे उपन्यास रेत समाधि का अंग्रेजी संस्करण है। इसका अनुवाद जानी-मानी लेखक और अनुवादक डेजी रॉकवेल ने किया है। यह उपन्यास उत्तर भारत की पृष्ठभूमि पर आधारित है। यह एक बुजुर्ग महिला की कहानी बताती है जो पाकिस्तान जाती है और बंटवारे के दौर की अपनी पीड़ाओं का हल तलाशने की कोशिश करती है।
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