अभिप्रेरक (मोटिवेशनल)

कल कभी नहीं आता, आज में जीना सीखिए

मनस्वी अपर्णा II

जीवन को जिसने भी करीब से जाना है, गहराई से समझा है, ऐसे हर व्यक्ति की एक विषय पर कमोबेश राय बिलकुल एक सी है,और वो ये है कि जीवन हमेशा वर्तमान में है न अतीत में था, न भविष्य में हो सकता है। इस वाक्य को ठीक से समझने की कोशिश अगर करें, तो इस कीमिया को तत्काल अनुभूत किया जा सकता है, प्रतिक्षण जो कुछ भी घट रहा है वह सब वर्तमान के क्षण में है और वर्तमान में ही हो सकता है, इसके अलावा कहीं और होने की कोई गुंजाइश नहीं है। और ये ऐसा ही है… लेकिन दुर्भाग्य से हम जीवन के इस सबसे बड़े सच से अनभिज्ञ ही रह जाते हैं और अपना पूरा जीवन अतीत की जुगाली और भविष्य की खिचड़ी पकाने में गंवाते जाते हैं।

अफसोस की बात यह है कि वर्तमान की अनदेखी करना और भविष्य में जीने की आदत हमको सिखाई जाती है, कुछ हम भी इस आदत को देखा सीखी अपना लेते हैं बिलकुल अनजाने में ही…हम जैसे जैसे बड़े होने लगते हैं हमारे आस पास नसीहतों और सुझावों की अनचाही सूची तैयार होने लगती है, हमारे हर निर्णय पर हमको याद दिलाया जाता है कि फलां काम करने का शास्त्रीय ढंग कौन सा है और अगर उस काम में सफल होना है तो वही एक ढंग है।

हमारा दिमाग चाहे कितने ही इनोवेटिव ढंग से सोचे, लेकिन उसको अमली जामा पहनाने की इजाजत नहीं होती, न ही उसको समर्थन और प्रोत्साहन ही मिलता है। और भविष्य में जीना या जीने की योजना बनाना इन्हीं नसीहतों का एक हिस्सा है।

हमको हमेशा ही भविष्य में और ज्यादा और बेहतर मिलेगा का लालच दिखा कर वर्तमान को सेक्रिफाइस करना सिखाया जाता है, हमसे सदा आज की बलि ली जाती है किसी बेहतर कल के लिए… और फिर ऐसा होता है कि ये हमारी आदत में आ जाता है, फिर हम खुद ही आज में कुछ भी करने को राजी नहीं होते..

  • मैंने कितने ही लोगों को देखा है जो छोटी से छोटी सी चाह को कल पर टालते जाते हैं कि कल जब हम जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाएंगे तो अपनी मर्जी के काम करेंगे, आज पैसा कमा लेते हैं, कल आराम से खर्च करेंगे, आज रुक जाते हैं कल चलेंगे, अभी नौकरी की चिंता करते हैं शौक बाद में पूरा कर लेंगे… ये सब तो बड़े निर्णय है। हम तो छोटे-छोटे निर्णय भी कल पर टालते जाते हैं, जबकि कोई कल कभी होता नहीं… होता हमेशा आज ही है।

मैंने कितने ही लोगों को देखा है जो छोटी से छोटी सी चाह को कल पर टालते जाते हंै कि कल जब हम जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाएंगे तो अपनी मर्जी के काम करेंगे, आज पैसा कमा लेते हैं, कल आराम से खर्च करेंगे, आज रुक जाते हैं कल चलेंगे, अभी नौकरी की चिंता करते हैं शौक बाद में पूरा कर लेंगे… ये सब तो बड़े निर्णय है हम तो छोटे छोटे निर्णय भी कल पर टालते जाते हैं, जबकि कोई कल कभी होता नहीं… होता हमेशा आज ही है।

इस आदत का सबसे बड़ा नुकसान यह होता है कि हमारे पास धन, वैभव और डिग्रियां, मकान तो हो जाते हैं, लेकिन जीवन सूखा और रसहीन रह जाता है,और जब तक ये अहसास हमको होता है  जिदगी हाथ से फिसल चुकी होती है। ऐसा नहीं कि ये सारी चीजें महत्त्वहीन है और इन्हें हासिल ही नहीं किया जाना चाहिए… बल्कि होना ये चाहिए कि इन बेजान चीजों को हासिल करते-करते हम में जो जीवंतता है वो खत्म नहीं होनी चाहिए, हमको अपने आप का निवेश सोच-समझ कर करना आना चाहिए, दूसरे हमको आज में जी लेने की आदत सीखनी आनी चाहिए। ये आदत जीवन में बहुत कुछ बदल सकती है, ये आदत बिना वजह तनाव और चिंताओं से मुक्त कर सकती है, ये आदत जो सामने है उसका समुचित उपभोग करने का गुर सिखा सकती है।

तो सार यह है कि अतीत में गोते लगाने और भविष्य में तैरने की योजनाएं छोड़ कर बस आज में जीना सीखिए, आपकी ‘टू डू लिस्ट’ बस आज की होनी चाहिए। जितना बेहतर हम आज को जी लेंगे, भविष्य और अतीत उतने ही बेहतर अपने आप होते जाएंगे, क्योंकि अतीत हो या भविष्य ये दोनों ही वर्तमान के दूसरे नाम हैं।

About the author

मनस्वी अपर्णा

मनस्वी अपर्णा ने हिंदी गजल लेखन में हाल के बरसों में अपनी एक खास पहचान बनाई है। वे अपनी रचनाओं से गंभीर बातें भी बड़ी सहजता से कह देती हैं। उनकी शायरी में रूमानियत चांदनी की तरह मन के दरीचे पर उतर आती है। चांद की रोशनी में नहाई उनकी ग़ज़लें नीली स्याही में डुबकी ल्गाती है और कलम का मुंह चूम लेती हैं। वे क्या खूब लिखती हैं-
जैसे कि गुमशुदा मेरा आराम हो गया
ये जिस्म हाय दर्द का गोदाम हो गया..

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