अश्रुत पूर्वा II
एक हीरा व्यापारी था। वह हीरे का बहुत बड़ा विशेषज्ञ माना जाता था, मगर गंभीर बीमारी के कारण कम उम्र में ही उसकी मृत्यु हो गई। अपने पीछे वह अपनी पत्नी और बेटा छोड़ गया। जब बेटा बड़ा हुआ तो उसकी मां ने एक दिन कहा- बेटा, मरने से पहले तुम्हारे पिताजी ये पत्थर छोड़ गए थे, तुम इसे लेकर बाजार जाओ और इसकी कीमत का पता लगा कर आओ। ध्यान रहे कि तुम्हें केवल कीमत पता करनी है, पर इसे बेचना नहीं है।
युवक पत्थर लेकर निकला, सबसे पहले उसे एक सब्जी बेचने वाली महिला मिली। अम्मा, तुम इस पत्थर के बदले मुझे क्या दे सकती हो?, युवक ने पूछा। देना ही है तो दो गाजरों के बदले मुझे ये दे दो। तौलने के काम आएगा। सब्जी वाली बोली।
- युवक इस बार एक सुनार के पास गया। उसने पत्थर के बदले 20 हजार देने की बात की। …फिर वह हीरे की एक प्रतिष्ठित दुकान पर गया। वहां उसे पत्थर के बदले एक लाख रुपए का प्रस्ताव मिला और अंत में युवक शहर के सबसे बड़े हीरा विशेषज्ञ के पास पहुंचा और बोला- श्रीमान, कृपया इस पत्थर की कीमत बताने का कष्ट करें।
युवक आगे बढ़ गया। इस बार वो एक दुकानदार के पास गया और उससे पत्थर की कीमत जानना चाही। दुकानदार बोला- इसके बदले मैं अधिक से अधिक 500 रुपए दे सकता हूं। देना हो तो दो नहीं तो आगे जाओ।
उसके बाद वह युवक एक सुनार के पास गया। सुनार ने पत्थर के बदले 20 हजार देने की बात की। … फिर वह हीरे की एक प्रतिष्ठित दुकान पर गया। वहां उसे पत्थर के बदले एक लाख रुपए का प्रस्ताव मिला और अंत में युवक शहर के सबसे बड़े हीरा विशेषज्ञ के पास पहुंचा और बोला- श्रीमान, कृपया इस पत्थर की कीमत बताने का कष्ट करें। हीरा विशेषज्ञ ने ध्यान से पत्थर का निरीक्षण किया और आश्चर्य से युवक की तरफ देखते हुए बोला- यह तो एक अमूल्य हीरा है, करोड़ों रुपए देकर भी ऐसा हीरा मिलना मुश्किल है।