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शब्दों को गढ़ने में शेक्सपियर का कम नहीं है योगदान

साहित्य डेस्क II

नई दिल्ली। शेक्सपियर की भाषा की हम सभी दाद देते हैं। अंग्रेजी साहित्य में उनके योगदान की प्रशंसा करते हैं। यह स्वाभाविक ही है। अंग्रेजी साहित्य उनके बिना अधूरा जो है। यों भी उत्कृष्ट अंग्रेजी का प्रतिनिधित्व करने के लिए उन्हें जाना जाता है। मगर उनकी भाषा को यह दर्जा ही नहीं मिला। जो भी हो उनकी भषा को लेकर जो विचार हैं, वह अब कई कारणों से बदल रहे हैं।

शेक्सपियर की भाषा के बारे में जो मान्यताएं हैं वह हमें एक ऐसी दुनिया में ले जाती हैं, जहां हम यह नहीं देख पाते हैं कि शेक्सपियर के बारे में सही क्या है? उन्होंने अपने शब्दों के साथ क्या किया? अब इस पर विमर्श शुरू हो गया है। लैंकस्टर विश्वविद्यालय में एनसाइक्लोपीडिया आफ शेक्सपियर्स लैंग्वेज परियोजना में बड़े पैमाने पर कंप्यूटर विश्लेषण ने शेक्सपियर की भाषा के बारे में धारणा बदल रहा है। कुछ निष्कर्ष सामने आए हैं।

यहां पांच चीजों पर फिर से विचार, जिनके बारे में आपने शायद सोचा था कि आप शेक्सपियर के बारे में जानते हैं लेकिन वह वास्तव में असत्य हैं। पहला तो यह कि शेक्सपियर ने बड़ी संख्या में शब्दों को गढ़ा, ठीक है, उन्होंने ऐसा किया, लेकिन उतने नहीं जितने लोग सोचते हैं। यहां तक कि प्रतिष्ठित स्रोत भी एक हजार से अधिक मानते हैं। शेक्सपियर बर्थप्लेस ट्रस्ट के अनुसार यह संख्या 1,700 है, लेकिन ध्यान से जोड़ें कि यह संख्या उन शब्दों से संबंधित है, जिन्हें पहले पहल शेक्सपियर ने अपनी रचनाओं में इस्तेमाल किया।

अब जैसे शब्द ‘होबनेल’ को लीजिए। यह पहली बार शेक्सपियर के एक पाठ में मिला, लेकिन यह कल्पना करना मुश्किल है कि यह एक रचनात्मक काव्यात्मक लेखन से आया। संभव है कि यह उस समय की बोली जाने वाली भाषा में रहा हो और शेक्सपियर द्वारा इसका इस्तेमाल करने से यह दर्ज हुआ। उनके द्वारा कथित रूप से गढ़े गए शब्दों की संख्या का अनुमान आमतौर पर उनके द्वारा रचनात्मक रूप से गढ़े गए शब्दों और उनकी रचनाओं में पहली बार लिखित रूप से दर्ज शब्दों, के बीच अंतर नहीं करता है।

फोटो साभार: गूगल
  • शेक्सपियर के पास विश्वविद्यालय शिक्षा का अभाव था। विश्वविद्यालय-शिक्षित, ईष्यार्लु, धूर्त नाटककार शायद इस वजह से उन्हें नीचा दिखाने के लिए ऐसा प्रचार करते थे। जबकि ऐसा नहीं है। शेक्सपियर ने 245 अलग-अलग लैटिन शब्दों का इस्तेमाल किया है।

शेक्सपियर से पहले के ग्रंथों में लाखों शब्दों को खोजने के लिए कंप्यूटर का उपयोग इस समय किया जा रहा है। इस पद्धति से, पाया गया कि शेक्सपियर ने अपने साहित्य में लगभग 500 शब्दों का इस्तेमाल पहली बार किया। बेशक, 500 का आंकड़ा बहुत बड़ा है क्योंकि अधिकांश लेखक न तो एक नया शब्द गढ़ते हैं और न ही पहली बार दर्ज करते हैं।

दूसरी बात यह कि शेक्सपियर की भाषा ही अंग्रेजी भाषा है इस मिथक ने कि शेक्सपियर ने ढेर सारे शब्द गढ़े हैं, ने आंशिक रूप से इस मिथक को हवा दी है कि उनकी भाषा आज की अंग्रेजी भाषा के एक-चौथाई, आधे या यहां तक कि सभी शब्दों का गठन करती है। शेक्सपियर के ग्रंथों में शब्दों की संख्या लगभग 21,000 है। उनमें से कुछ शब्दों को दोहराया गया हैैं।

आक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी में लगभग छह लाख अलग-अलग शब्द हैं, लेकिन कई अस्पष्ट तकनीकी शब्द हैं। तो, चलिए 500,000 शब्द मान कर चलते हैं। शेक्सपियर के काम में भले ही हर शब्द उनके द्वारा गढ़ा गया हो (जो कि निश्चित रूप से ऐसा नहीं हैै), वह अभी भी आज की अंग्रेजी भाषा का केवल 4.2 फीसद होगा। इसलिए, शेक्सपियर ने शब्दों को गढ़ने के मामले में केवल एक बहुत छोटा अंश ही योगदान दिया, हालांकि अधिकांश लेखकों की तुलना में संभवत: अधिक।

तीसरी बात यह कि शेक्सपियर के पास एक विशाल शब्दावली थी। उनकी विशाल शब्दावली के बारे में लोकप्रिय दावे इस तथ्य से प्रेरित प्रतीत होते हैं कि उनके लेखन में समग्र रूप से बड़ी संख्या में शब्द हैं। लेकिन जितना अधिक आप लिखते हैं, उतने ही अधिक अवसर आपको अलग-अलग शब्दों का उपयोग करने से मिलते हैं।

चौथी बात, शेक्सपियर का सार्वभौमिक अर्थ है निश्चित रूप से, मानव स्थिति के कुछ विषय या पहलू सार्वभौमिक हैं, लेकिन यह कैसे कहा जा सकता है कि उनकी भाषा सार्वभौमिक है। भाषाविदों का मानना है कि सभी भाषाएं बदल जाती हैं- और शेक्सपियर इससे अलग नहीं हैं।

और आखिर में, शेक्सपियर ज्यादा लैटिन नहीं जानते थे यह एक लोकप्रिय मान्यता हैं, जो शिक्षाविदों और गैर-शिक्षाविदों द्वारा समान रूप से फैलाई गई है। कुछ नाट्य मंडलियों के भीतर, यह विचार उभरा कि शेक्सपियर ज्यादा लैटिन नहीं जानते थे। दरअसल, समकालीन नाटककार बेन जोंसन ने  लिखा है कि शेक्सपियर स्मॉल लैटिन और लैस ग्रीक थे। (साभार इनपुट)
   

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