काव्य कौमुदी गीत/ गद्यगीत/अन्य

तभी उचित सम्मान मिलेगा

ताराचंद शर्मा II

मिलकर साथ अगर शामिल हों सारे इस अभियान में
तभी उचित सम्मान मिले हिंदी को हिंदुस्तान में

कस्तूरी की ख़ुशबू सी सारी दुनिया से न्यारी है
अपनी हिंदी भाषा हमको जान से बढ़कर प्यारी है
ऋषि मुनियों की पोषित वेद पुराणों की सहचरी रही
इसके गौरव पर अपना तन,मन,धन सब बलिहारी है

खड़े रहें मिलकर जीवन भर हम इसके सम्मान में
तभी उचित सम्मान मिले हिंदी को हिंदुस्तान में

मन की भाषा,तन की भाषा जन जन की ये भाषा हो
हर मन में उमड़े भावों की ये ही बस परिभाषा हो
इसका क़द ऊँचा होगा तो हम होंगे क़दवान सभी
रहे सदा सब से ऊपर ये हर मन की अभिलाषा हो

लीन सभी हों ऐसे इस में जैसे हों भगवान में
तभी उचित सम्मान मिले हिंदी को हिंदुस्तान में

हम संकल्प करें इसका हम मान नहीं घटने देंगे
बिगुल बजाकर चला कारवाँ इसे नहीं रुकने देंगे
विश्व पटल पर सबसे ऊँची रहे पताका हिंदी की
हिंदी और हिन्द की गरिमा कभी नहीं मिटने देंगे

गूँज उठे जयघोष मेरी हिंदी का सकल जहान में
तभी उचित सम्मान मिले हिंदी को हिंदुस्तान में

About the author

ताराचंद शर्मा 'नादान'

ताराचंद शर्मा 'नादान'

निवासी - दिल्ली

प्रसिद्ध ग़ज़लकार एवं दोहाकार

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