नरेश शांडिल्य II
[नुक्कड़-नाटक ‘भारत बनाम इंडिया’ के लिए लिखे नरेश शांडिल्य के इस गीत को नब्बे के दशक के दौरान नई दिल्ली में इंडिया गेट के पास संघ लोक सेवा आयोग के सामने चले विश्व के सबसे लंबे भाषा-धरने में सैंकड़ों बार गाया गया था। संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में अंग्रेज़ी की बाध्यता के विरुद्ध लिखे गए नरेश शांडिल्य के इस नुक्कड़-गीत के कारण भी उस दौरान खेला गया नुक्कड़-नाटक ‘भारत बनाम इंडिया’ अत्यधिक चर्चित हुआ]
हिंदी का सम्मान बढ़ाएंगे ,
भारत देश में हम, हिंदी का सम्मान बढ़ाएंगे ;
भारत की भाषाएं लाएंगे,
भारत देश में हम, भारत की भाषाएं लाएंगे।
जर्मन हो, जापान, चीन या रूस कि तुर्किस्तान,
सबने अपनी भाषा में ही ऊंची भरी उड़ान ;
हम भी अलख जगाएंगे, घर-घर अलख जगाएंगे,
भारत देश में हम, हिंदी का सम्मान बढ़ाएंगे।
पौंछ ही देंगे दीवारों से मैकाले के नारे,
दिखला देंगे काले-अंग्रेज़ों को दिन में तारे ;
बापू की बात उठाएंगे, बापू का स्वप्न सजाएंगे,
भारत देश में हम, हिंदी का सम्मान बढ़ाएंगे।
अंग्रेज़ी से बैर नहीं है, अंग्रेज़ी भी सीखें,
लेकिन हिंदुस्तानी हैं तो हिंदुस्तानी दीखें ;
ख़ुद को क्यों बिसराएंगे, ख़ुद्दारी अपनाएंगे,
भारत देश में हम, हिंदी का सम्मान बढ़ाएंगे।
पटरानी थी जो इस घर की, बन बैठी क्यों आया ?
हटा ही देंगे मां के सिर से अब ये काली छाया ;
मां को चंवर डुलाएंगे, आसन पर बिठलाएंगे,
भारत देश में हम, हिंदी का सम्मान बढ़ाएंगे।
हिंदी बोल-बोल कर हमसे वोट मांगता नेता,
बाद में लेकिन वो अंग्रेज़ी के ही अंडे सेता ;
उससे पिंड छुड़ाएंगे, उसको सबक सिखाएंगे,
भारत देश में हम, हिंदी का सम्मान बढ़ाएंगे।
भाषा अपना हक़ है इसको हर कीमत पर लेंगे,
कट जाएंगे, मर जाएंगे, पीछे नहीं हटेंगे ;
क्रांति का बिगुल बजाएंगे, जन-जन का गीत गुंजाएंगे,
भारत देश में हम, हिंदी का सम्मान बढ़ाएंगे।