राकेश धर द्विवेदी II
मेरी मृत्यु के पश्चात
तुम्हारे पास आएंगी
मेरी कविताएं।
तुम्हें रुलाएंगी, तुम्हें हंसाएंगी,
कुछ गीत नया सुनाएंगी।
आज तक मैं जो तुमसे
न कह सका
वह तुमसे कह कर
जाएंगी।
कैनवस पर लिखा एक-एक शब्द
स्वर बन कर बोलेगा
वेदना, दर्द और अपेक्षाओं
के अनेक पृष्ठ खोलेगा।
उसे सहेज कर रखना
वह तुम्हारी स्मृतियों में
रच-बस जाएगा
मिलन और समर्पण के
नए द्वार खोलेगा।
देगी नए आयाम इस कहानी को
जिसकी प्रस्तावना हमने और तुमने
शुरू की थी
उसकी खूबसूरत उपसंहार बन जाएंगी।
करेंगी नया सृजन एक
संबंधों का
भीगी मिट्टी की
सोंधी खुशबू की तरह
प्रकृति में फैल जाएंगी
जीवन का एक सुंदर दर्शन बन जाएंगी।
तब शब्दों का एक-एक स्पर्श
तुम्हारे मन में रच-बस जाएगा
और मधुर संगीत सुनाएगा।