स्वास्थ्य

छोटी आंत की सुरक्षा करती है ब्रोकोली

अश्रुतपूर्वा II

नई दिल्ली। फूलगोभी से ज्यादा कुछ लोगों को हरी-भरी ब्रोकोली बहुत अच्छी लगती है। यह थोड़ी महंगी जरूर मिलती है, मगर इसके गुणों का क्या कहना। पिछले दिनों अनुसंधानकर्ताओं ने उस प्रक्रिया का खुलासा किया है जिसकी सहायता से ब्रोकोली छोटी आंत की परत की सुरक्षा में मदद करती है। अमेरिका में पेन्सिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी ने इस बात के ठोस आधार पेश किए हैं कि क्यों ब्रोकोली, पत्ता गोभी और अंकुरित ब्रसेल्स (गोभी के जेमीफेरा कल्टीवेर समूह का एक सदस्य) जैसी सब्जियां सामान्य स्वास्थ्यवर्धक भोजन का हिस्सा होने चाहिए।
अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि ब्रोक्रोली में जो अणु होते हैं उन्हें एरिल हाइड्रोकार्बन रिसेप्टर लिगैंड्स कहते हैं। ये अणु प्रोटीन के एक किस्म एरिल हाइड्रोकार्बन रिसेप्टर यानी एएचआर को छोटी आंत की परत पर जोड़ते हैं। छोटी आंत की परत पर इस प्रक्रिया से कई गतिविधियां शुरू होती हैं जो आंत की कोशिकाओं की कार्यप्रणाली को प्रभावित करती हैं। बता दें कि ये निष्कर्ष लेबोरेटरी इन्वेस्टिगेशन पत्रिका में छपे हैं।
आंतों की परत पर मौजूद कुछ खासा कोशिकाएं या आंत्र कोशिकाएं फायदेमंद जल और पोषक तत्वों को शरीर के अंदर जाने देने में मदद करती हैं। यही नहीं हानिकारक कणों और बैक्टीरिया को उसमें प्रवेश से भी रोकती हैं। इससे संतुलन बना रहता है। इन कोशिकाओं में एंटरोसाइट्स होते हैं जो जल एवं पोषक तत्वों को अवशोषित करते हैं।
अध्ययन में अनुसंधानकर्ताओं ने चूहों के एक समूह पर यह प्रयोग किया और उन्हें 15 फीसद ब्रोकोली खिलाई जो मानव के लिए प्रतिदिन 3.5 ग्राम के बराबर है। उन्होंने चूहों के एक समूह को ब्रोकोली रहित सामान्य भोजन दिया। उन्होंने पाया कि जिन चूहों को ब्रोकोली नहीं दी गई थी उनमें एएचआर यानी एरिल हाइड्रोकार्बन रिसेप्टर की गतिविधि कम पाई गई थी।
अध्ययन के लेखक गैरी पेरड्यू के मुताबिक अनुसंधान से पता चलता है कि ब्रोकोली और एएचआर लिगैंड्स से युक्त इस तरह के खाद्य पदार्थों को प्राकृतिक स्रोतों के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है और लिगैंड्स से भरपूर ये आहार छोटी आंत के लचीलेपन में भूमिका निभाते हैं। (मीडिया में आए समाचार के आधार पर)

अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि ब्रोक्रोली में जो अणु होते हैं उन्हें एरिल हाइड्रोकार्बन रिसेप्टर लिगैंड्स कहते हैं। ये अणु प्रोटीन के एक किस्म एरिल हाइड्रोकार्बन रिसेप्टर यानी एएचआर को छोटी आंत की परत पर जोड़ते हैं। 

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