स्वास्थ्य

धूप में न निकलिए, कहीं लग न जाए लू

डॉ. एके अरुण II

वातावरण में बहुत अधिक गर्मी होने के कारण लू लगने से काफी ज्यादा नुकसान हो जाता है। आम तौर पर इसके शिकार धूप या गर्म जगहों जैसे बायलरों में काम करने वाले लोग होते हैं। लू लगने में असल में कोशिकाओं के प्रोटीन का ऊष्मा स्कंदन हो जाता है। इससे क्योंकि शरीर के तापमान नियंत्रण केंद्र पर असर होता है। इससे कभी-कभी मौत भी हो जाती है।

कब चलती है लू?
भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक, जब मैदानी इलाकों का अधिकतम तापमान 40 डिग्री और सामान्य से 4.5 डिग्री ज्यादा होता है, तो इसे लू माना जाता है। वहीं पहाड़ी इलाकों में 30 डिग्री तापमान पहुंचने पर लू की स्थिति मानी जाती है। अगर तापमान 45 डिग्री के पार हो जाता है, तो इसे खतरनाक या गंभीर लू की श्रेणी में रखा जाता है।

लू के लक्षण
उष्माघात के कारण ज्यादा बुखार, मस्तिष्क पर असर और पसीना न होना ये तीन मुख्य बिंदु है। मस्तिष्क प्रभावित होने के कारण बेहोशी या दौरे हो सकते है। कभी-कभार बोलने में दिक्कत हो सकती है। अति श्रम से उष्माघात जल्दी आ सकता है। उष्माघात में मस्तिष्क के प्रोटीन बिगड़ने के कारण उसका कामकाज रोकता है। इसी के कारण सारे दुष्प्रभाव होते हैं।

लू में प्राथमिक इलाज
पीड़ित व्यक्ति को पहले छांव में लाकर उसके लिए हवा का इंतजाम करे। उसको नमक शक्कर और पानी का घोल पिलाएं। उसके कपड़े उतार दें। सिर्फ अंदरुनी वस्त्र रहने दें। गीली चादर में उसे लपेट कर तापमान कम करने का प्रयास करे। हाथ-पैर दबाएं जिससे रक्त संचार हो। संभव हो तो बर्फ के टुकडे कपड़े में लपेट कर गर्दन, बगले और जांघों पर रखे। इससे गर्मी जल्दी निकलती है। तुरंत अस्पताल ले जाएं।

लू से बचाव
गर्मी के दिनों में हो सके तो धूप में काम करना टालें। हर आधे घंटे में दो सौ से तीन सौ मिली लीटर पानी पी लें। पूरे दिन में चार-पांच लीटर ठंडा पानी पीने से लाभ होता है। पानी की बोतल हमेशा साथ रखें। काम करते समय हल्के सूती कपडेÞ वो भी फीके रंग के पहने। काले या गहरे रंग के कपडेÞ और जरूरत से ज्यादा कपड़े न पहनें। सिर पर रुमाल या टोपी रखें जिससे न केवल सिर का बल्कि चेहरे का भी धूप से बचाव हो।
छोटे बच्चों और 65 वर्ष से बड़ी उम्र वाले व्यक्ति को छांव में ही रखें। धूप में खड़ी कार में बैठना उचित नहीं। धूप से बचाव के लिए सनस्क्रीन घोल लगाएं और 15 मिनट के बाद बाहर निकलें। शराब या मस्तिष्क प्रभावित करने वाली दवाइयां बिल्कुल न लें।
जब धूप में काम करना जरूरी हो तब धीरे-धीरे ज्यादा उष्णता के वातावरण में जाएं, एकदम इसका प्रयास न करे। हर दिन धूप में काम करने का एक दो घंटे प्रयास करे जिससे शरीर की सहने की क्षमता बढ़ती है। बहुत प्यास लगे, घबराहट या भ्रम महसूस होता हो जोखिम उठाना ठीक नहीं। छांव में जाएं और पानी पी लें।
भारत सरकार के मौसम विभाग के कहा है कि देश में लू का दौर चल रहा है जो 31 मई तक जारी रहेगा। बता दें कि पिछले साल लू के मामले में 11 साल का रेकार्ड टूटा था। साल 2022 में सफदरजंग मौसम केंद्र ने मार्च से लेकर मई के बीच 13 लू वाले दिन दर्ज किए थे जो पिछले 11 साल में सबसे ज्यादा था। इसकी वजह शहरीकरण, ग्रीनहाउस गैसों में इजाफा और वाहनों और घरों से निकलने वाली गैस और धुएं हैं।  

गर्मी के दिनों में हो सके तो धूप में काम करना टालें। हर आधे घंटे में दो सौ से तीन सौ मिली लीटर पानी पी लें। पूरे दिन में पांच-छह लीटर  पानी पीने से लाभ होता है। इन दिनों पानी की बोतल साथ रखें। काम करते समय हल्के सूती कपडे पहनें । 

About the author

AK Arun

डॉ. एके अरुण देश के प्रख्यात जन स्वास्थ्य विज्ञानी हैं। वे कई पुस्तकों के लेखक और संपादक हैं। साथ ही परोपकारी चिकित्सक भी। वे स्वयंसेवी संगठन ‘हील’ के माध्यम से असहाय मरीजों का निशुल्क उपचार कर रहे हैं। डॉ. अरुण जटिल रोगों का कुशलता से उपचार करते हैं। पिछले 31 साल में उन्होंने हजारों मरीजों का उपचार किया है। यह सिलसिला आज भी जारी है। कोरोना काल में उन्होंने सैकड़ों मरीजों की जान बचाई है।
संप्रति- डॉ. अरुण दिल्ली होम्योपैथी बोर्ड के उपाध्यक्ष हैं।

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