अश्रुत पूर्वा II
नई दिल्ली। जीवन शैली बिगड़ने से कमर दर्द की समस्या कम नहीं होने वाली। यह और बढेÞगी। अगले दो दशकों में दुनियाभर में 84 करोड़ से ज्यादा लोगों को कमर दर्द की शिकायत होगी। लांसेट रूमाटोलॉजी में छपे एक नए अध्ययन में यह आशंका जताई गई है। सिडनी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पिछले 30 साल के आंकड़ों के आधार पर विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि लगातार बढ़ती जनसंख्या और बुजुर्गों की आबादी बढ़ने के कारण अफ्रीका और एशिया में कमर दर्द की समस्या से परेशान रहे लोगों की संख्या में सबसे ज्यादा बढ़ेगी।
शोधकर्ताओं ने कहा कि कमर दर्द की उपचार पद्धतियां विकसित करने में सुसंगत नजरिए की कमी और इलाज के सीमित विकल्पों के कारण एक बड़ा स्वास्थ्य संकट खड़ा होने की आशंका है, क्योंकि कमर दर्द दुनियाभर में अक्षमता का सबसे बड़ा कारण है। मुख्य शोधकर्ता प्रोफेसर मैनुएला फरेरा ने कहा, हमारा विश्लेषण पूरे विश्व में कमर दर्द की समस्या से परेशान हो रहे लोगों की संख्या में वृद्धि को दर्शाता है। यह हमारे स्वास्थ्य तंत्र पर अत्यधिक दबाव डाल रहा है। कमर दर्द के प्रबंधन के लिए एक राष्ट्रीय, सुसंगत दृष्टिकोण बनाने की आवश्यकता है।
अध्ययन से पता चला है कि 2017 के बाद से कमर दर्द का सामना कर रहे लोगों की संख्या दुनिया भर में बढ़ कर 50 करोड़ से ज्यादा हो गई है। साल 2020 में कमर दर्द की समस्या से जूझ रहे मरीजों की संख्या करीब 61.9 करोड़ दर्ज की गई थी। अध्ययन से यह भी सामने आया है कि कमर दर्द के कारण हुई अक्षमता के लिए मुख्य रूप से कार्य संबंधी कारक, धूम्रपान और मोटापा जिम्मेदार है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि लोगों के बीच यह गलत धारणा है कि कमर दर्द की समस्या ज्यादातर कामकाजी उम्र के लोगों में दिखती है, लेकिन इस अध्ययन से पुष्टि हुई है कि पीठ के निचले हिस्से में दर्द की शिकायत बुजुर्गों में अधिक होती है। यह भी पता चला है कि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में कमर दर्द के मामले अधिक नोटिस में लिए जाते हैं। (खबरों के आधार पर प्रस्तुति)
अध्ययन से पता चला है कि 2017 के बाद से कमर दर्द का सामना कर रहे लोगों की संख्या बढ़ कर 50 करोड़ से ज्यादा हो गई है। साल 2020 में कमर दर्द की समस्या से जूझ रहे मरीजों की संख्या करीब 61.9 करोड़ दर्ज की गई थी।