लघुकथा

एक खामोश इंतजार…

उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। क्योंकि उसकी सगाई सहपाठी से हो रही थी। वह अपनी अनामिका अंगुली में पहनाई गई अंगूठी को एकटक देखता और चूमता। सोचता है, उसने जिससे प्रेम किया उसे पा लिया। अब दो साल बाद शादी करेगा। क्योंकि उसे प्रेमिका के सपनों को पूरा करना है। वह शादी करके अपने बनाए हुए घर में उसे लाना चाहता है। इतनी खुशी मिली है उसे, जिसे वो चाह कर भी छिपा नहीं पा रहा।
कुछ समय बीत जाने के बाद वह घर बनाने की तैयारी कर रहा था। एटीएम से पैसे निकालने के लिए जाने ही वाला था कि उसकी नजर एक लडकी पर पड़ी जो तेज कदमों से उसके बगल से निकली। उसका सौंदर्य देख कर वह स्तब्ध था। उसकी आंखें पलकें झपकाना भूल गई और वह उसे आवाक देखता रह गया। वह सफेद रंग के चिकन की कढ़ाई की हुई कुर्ती और लाल रंग का चूड़ीदार सलवार सूट पहने हुए थी। उसे ओझल होते हुए वह देख रहा था। खैर पैसे निकाल कर उसने घर बनाने का काम शुरू किया।
… लेकिन वह निरंतर उसी एटीएम वाले रोड पर निश्चित समय पर जाकर खड़ा हो जाता और उसे जाते हुए एकटक देखता। एक दिन साहस करके उसका नाम पूछ लिया। वह सहजता से बोल पड़ा, मैं आपको काफी दिनों से नोटिस कर रहा हूं। वह बोली माफ कीजिए मैंने कभी आप पर ध्यान नहीं दिया। औचारिक बात शुरू हुई और यह बातचीत कॉफी शॉप पर मिलने पर खत्म हुई। अगले दिन लाल सूट में वह मिली लेकिन बहुत जल्दी ही वापस चली गई। फिर मुलाकात और बातों का सिलसिला ळुरू हो गया। फोन पर भी बातें होने लगीं।
वह नौजवान कई बार सोचता कि यह क्या है जो खींच रहा मुझे उसकी तरफ। जबकि मैं प्रेम में नहीं हूं उसके। क्यों बेचैन हूं मैं। मेरी सगाई जिससे हुई मैं उससे प्रेम करता हूं। फिर उसे देख कर ये खिंचाव क्यों? इस बार मैं मिलूंगा उससे, तो बता दूंगा की मेरी सगाई हो चुकी है मैं इंगेज्ड हूं। अगले दिन दोनों मिलते हैं। अचानक वह लड़की उसकी अंगूठी देखती है तो पूछती है, सगाई हो गई क्या तुम्हारी? …वह सकपका कर कहता है, नहीं तो यह अंगूठी मेरी मम्मी ने दीपावली पर गिफ्ट दी है। वह फिर चुप हो जाती है। थोड़ी देर बातें करने के बाद वह अपने घर चली जाती है। और लड़का वही खड़ा उसे देखता रहता है। रात में मैसेज आता है कि तुम्हारी सगाई हो चुकी है। तुम जिससे कमिटेड हो उसके साथ खुश रहो। प्रेम में पा लेना ही नहीं होता बल्कि छोड़ देना भी प्रेम का उच्चतम स्वरूप होता है।
दो साल बाद वह शादी कर लेता है अपनी सहपाठी से। उसे न तो इस शादी से खुशी है न गम। अजीब सा सिलसिला जो दो साल पहले शुरू हुआ आज भी चल रहा है। हां वह जब भी एटीएम वाली सड़क से गुजरता तो रुक कर थोडी देर खड़ा रहता। जैसे वह उसे अपनी अंतरात्मा से निकाल कर सांसों में भर लेना चाहता हो।

रात में मैसेज आता है कि तुम्हारी सगाई हो चुकी है। तुम जिससे कमिटेड हो उसके साथ खुश रहो। प्रेम में पा लेना ही नहीं होता बल्कि छोड़ देना भी प्रेम का उच्चतम स्वरूप होता है। 

About the author

राधिका त्रिपाठी

राधिका त्रिपाठी हिंदी की लेखिका हैं। वे सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर बेबाक होकर लिखती हैं। खबरों की खबर रखती हैं। शायरी में दिल लगता है। कविताएं भी वे रच देती हैं। स्त्रियों की पहचान के लिए वे अपने स्तर पर लगातार संघर्षरत हैं। गृहस्थी संभालते हुए निरंतर लिखते जाना उनके लिए किसी तपस्या से कम नहीं है।

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