1.
एक आदमी को जानता हूँ।
हम कविताएँ नहीं पढ़ते बल्कि एक ऐसे आदमी को पढ़ते हैं
जो व्यथित होकर
सुख से जीता है।
हम उन व्यथाओं को पढ़ते हैं
जो कविताएँ बन जाती है।
दु:ख को काम्य बनाने का एक उपक्रम है
कविता
कवि आँखों में अंधेरा भर कर भी
चन्द्रमा की रौशनी पर प्यार लुटाता है।
मैं ऐसे एक आदमी को जानता हूँ
जो मेरे मन में रहता है..!
2.
इस तरह वो मुझसे रुठ गया
जैसे बरसात रूठती है किसान से।
मैं उसको मनाने के खातिर सूरज से अड़ता हूँ
कभी हवाओं से भिड़ जाता हूँ
उसे यकीन दिलाता हूँ
खेत में बोये गए अनाज के दाने सबसे मीठे दाने हैं
बस,एक बार तू बरस जा…अपने सारे पानी के साथ..
देख लेना,आने वाली फसल
हमारे प्रेम और मित्रता की गवाह होगी
जिसे कोई बंजरपन झुठला नही सकेगा
3.
गलतियां स्वीकार की जाती है
दूसरों पर थोपी नहीं जाती।
जिन्होंने अपनी गलतियां स्वीकार की,
सुखों ने उनका साथ दिया
और जिन्होंने अपनी गलतियां हमेशा दूसरों पर थोपी
वे एक दु:ख से दूसरे दु:ख के बीच
लुढ़कते गए,एक गोलाकार पत्थर की तरह
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