नई दिल्ली (अश्रुत पूर्वा)। कोरोना संक्रमण के दो दौर हम सभी पार कर चुके है? तीसरे चरण की आशंका के बीच त्योहार भी शुरू हो रहे हैं? लेकिन अब भी लोगों के मन में सवाल है कि कोरोना से हमें कब मुक्ति मिलेगी या हम सभी कब तक हर्ड इम्युनिटी यानी सामूहिक प्रतिरक्षा हासिल कर लेंगे। निश्चित रूप से यह जरूरी सवाल है। सभी यह जानना चाहते हैं कि जनसंख्या के किस अनुपात में कितने टीकाकरण की और जरूरत होगी। यह अच्छी बात है कि जिंदगी फिर से पटरी पर लौट आई है। उद्योग-धंधे शुरू हो गए हैं। उत्पादन का देश के विकास में सकारात्मक असर पड़ा है। अब हम सभी यही चाहते हैं कि कोरोना कभी सुर्खियों में न दिखे।
लोगों को कब तक सामूहिक प्रतिरक्षा मिलेगी? इस पर ज्यादातर विशेषज्ञ साफ कुछ नहीं बताते। वे इस कोशिश में हैं कि उस संख्या या सुरक्षा के दायरे का अनुमान लगाया जाए जो टीकाकरण के विभिन्न स्तर हमें देंगे। फिर भी सामूहिक प्रतिरक्षा के लिए कोई एक निश्चित संख्या नहीं बता रहा। हर्ड इम्युनिटी क्या है? यह जानने की उत्सुकता सभी में है। बावजूद इसके कोरोना के खिलाफ सामूहिक प्रतिरक्षा के लिए आवश्यक टीकाकरण के आंकड़े बताने से प्राय: विशेषज्ञ बचते हैं।
दरअसल, सामूहिक प्रतिरक्षा तब होती है जब किसी आबादी में रोग को फैलने से रोकने में लोगों की इम्युनिटी बढ़ जाती है। जब हम टीका लगवा लेते हैं तो यह हमें रोग से बचाता है। मगर सामूहिक प्रतिरक्षा होने पर विषाणुओं के फैलने का रास्ता बंद हो जाता है। फिर उससे वे लोग भी बीमारी से बच जाते हैं जिन्होंने टीके नहीं लगवाए होते हैं। भारत में जिस रफ्तार से टीके लगे हैं और लग रहे हैं और जिस हिसाब से लोगों में प्रतिरक्षा बढ़ रही है, इसे देख कर लगता है कि अगले साल हम कोरोना के साथ मास्क से भी मुक्त हो जाएंगे।
आप को बता दें कि सामूहिक प्रतिरक्षा के लिए अलग-अलग संचारी रोगों में अलग-अलग सीमा होती है। जैसे खसरे में हर्ड इम्युनिटी के लिए 92 से 94 फीसद प्रतिरोध जरूरी है। मगर कोविड-19 को लेकर विशेषज्ञ अलग-अलग अनुमान जताते हैं। नतीजा यह कि लोग भ्र्रमित हो जाते हैं। दरअसल, इसकी वजह कोरोना विषाणुओं के स्वरूप में बदलाव भी एक वजह रही है। इसलिए सामूहिक प्रतिरक्षा के लिए एक निश्चित संख्या का अनुमान लगाना बहुत मुश्किल है। एक बड़ी चुनौती बच्चों के टीके को लेकर भी है। वैसे आस्ट्रेलिया में फाइजर के टीके को मंजूरी दी गई है। भारत सहित कई देशों में बच्चों को टीके नहीं लगे हैं। इस लिहाज से कहीं भी और किसी भी आबादी का पूरा टीकाकरण नहीं हुआ है। अलबत्ता, हर्ड इम्युनिटी ही ऐसी अबादी के लिए सहारा है।
झुंड प्रतिरक्षा हासिल करने की क्षमता जनसंख्या घनत्व से भी हासिल होती है। आबादी में न जाने कितने लोग कितने ही प्रकार के लोगों से मिलते हैं। इसे मिश्रण की विषमता कहा जाता है। शायद यही वजह है कि सामूहिक प्रतिरक्षा के लिए एक ही आंकड़ा देने से विशेषज्ञ बचते हैं। लेकिन यह भी सच है यह समय गुजरेगा। लोगों को टीके लगते जाएंगे। रोग से लड़ने की प्रतिरक्षा भी बढ़ती जाएगी। इस तरह कोरोना का प्रकोप कम होगा। स्थानीय प्रकोप भी कम होता जाएगा। रोग फैलने की संभावना भी कम होती जाएगी।
फिर भी जरूरी है कि इस बार त्योहारों के मौसम में हम भीड़भाड़ से बचें। बाजार में खरीदारी करते समय मास्क अवश्य पहनें। हर हाल में स्वस्थ रहें। आप कोरोना पर विजय हासिल कर चुके हैं।
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